पराली संकट से पैदा वायु प्रदूषण पर जताई चिंता कहा ऐसे ही रहा तो गैस का चैंबर बन जाएगी दिल्ली। सीएम योगी आदित्यनाथ :

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी और सतत ग्रामीण विकास' विषय पर दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शुक्रवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ सीएम योगी ने किया।

Tv9 bharatsamachar : Lucknow : पर्यावरण, प्रौद्योगिकी और सतत ग्रामीण विकास’ विषय पर दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शुक्रवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन सीएम योगी कर रहे थे। भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सहयोग से इसका आयोजन महाविद्यालय के भूगोल विभाग की तरफ से, किया जा रहा है। सीएम योगी ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा और सतत ग्रामीण विकास के लिए पारिस्थितिकी अनुकूल प्रौद्योगिकी को अपनाना चाहिए। आवश्यक नहीं कि यूरोप का विकास मॉडल उत्तर प्रदेश के लिए भी कारगर है तकनीकी के इस युग में प्राचीन देसी पद्धतियों से जुड़कर पर्यावरण को सुरक्षित बनाया जा सकता है।

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शुक्रवार को उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जल, भूमि, जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों का मिला जुला रूप पर्यावरण है। यदि जल पीने लायक ना हो भूमि रहने लायक ना हो जीव जंतुओं का अस्तित्व संकट में हो तो प्रौद्योगिकी का क्या महत्व है। पर्यावरण नागरिक जिम्मेदारी ज्यादा है। इससे जुड़े मुद्दों को सरकार या संस्थानों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। नगरीय निकायों की जिम्मेदारी मानकर कूड़ा प्रबंधन छोड़ा नहीं जा सकता। इसके लिए आम नागरिकों को अपनी जवाब देही तय करनी होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रौद्योगिकी के योगदान को सर्व सुलभ बनाने के साथ-साथ इसको उन्नत कैसे बनाएं सरकार संस्थानों और समाज को एक साथ मिलकर पर्यावरण की रक्षा करनी होगी। इसके लिए जैव परिस्थिति के अनुकूल नई प्रौद्योगिकी को देसी तकनीक से जोड़ना होगा।

प्राचीनकाल से ही भारतीय समाज पर्यावरण के लिए              संवेदनशील।  

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पर्यावरण के लिए संवेदनशीलता भारतीय समाज में प्राचीन काल से ही रही है। यहां के ज्ञानी जनों ने पृथ्वी को माता की संज्ञा दी है। ग्राम स्वराज्य मॉडल को महात्मा गांधी का सुपरहिट मॉडल बताया और इसे अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस मॉडल में ग्रामीणों के पारस्परिक सहयोग से कूड़ा प्रबंधन से लेकर ग्रामीण जीवन के स्वावलंबन का विजन है। इससे सरकार पर निर्भरता समाप्त होती है।

2070 तक जीरो कार्बन उत्सर्जनपीएम मोदी का लक्ष्य।

सीएम योगी ने कहा कि 2070 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीरो कार्बन उत्सर्जन की सीमा रेखा तय की है। स्वच्छ भारत मिशन पी एम मोदी के पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक है। इसमें ग्रामीणों को स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक बनाया गया है।

   पराली जलाने से दिल्ली गैस का चैंबर बनती जा रही है।

पराली संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने पांच-छह राज्यों को नोटिस जारी कर उनसे पूछा की पराली कैसे जल रही है। जब कि दिल्ली गैस का चैंबर बनती जा रही है। वैज्ञानिक विकास समय के अनुरूप न होने से कृषि क्षेत्र में पराली पर्यावरण और धरती की उर्वरा शक्ति के लिए खतरा बन गई है।छोटे-छोटे टुकड़े मिट्टी में ही सड़कर ग्रीन कम्पोस्ट बन जाएं इसके लिए कम्बाइन के साथ राइपर भी लगाना चाहिए। नकारात्मक मॉडल से बचकर विकास करना होगा पॉलीथिन में सामान लेकर आने से गंदगी, नाली जाम एवं गोवंश के बीमार होने की समस्या खड़ी हो गयी है। वर्षों तक पर्यावरण के लिए पॉलीथिन चुनौती है। नमामि गंगे परियोजना एवं पंजाब के संत सींचेवाल मॉडल से नदियों का प्रदूषण घटा है। उन्होंने कहा कि 2016 में जब से नमामि गंगे परियोजना शुरू की गई है। डॉल्फिन जैसे जलीय जीव फिर से दिखाई दे रही हैं। गंगा जल की शुद्धता, अविरलता और निर्मलता बढ़ी है। गंगा में स्नान से चकत्ते नहीं पड़ रहे। गंगा नदी का प्रदूषण बहुत कम हो गया है। संत सींचेवाल का मॉडल जल शुद्धि का देसी और रामबाण तरीका एक बार फिर सबके सामने आ गया है।

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