एक ही वाहन से ‘हिट एंड रन’ मामले के चार-चार क्लेम, सुप्रीम कोर्ट ने दिए SIT जांच के आदेश।

उड़ीसा हाई कोर्ट का क्या था आदेश?..... ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने सर्वोच्च न्यायालय मैया जी का दायर कर उड़ीसा उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी है। जिसके तहत प्रतिवादी दावेदारों को 19 अक्टूबर 2017 को हुई है दुर्घटना के लिए दवा आवेदन दाखिल करने की तिथि से 7% प्रतिवर्ष ब्याज के साथ 40,42,162 रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया गया था। सुनवाई के दौरान, बीमा कंपनी के अधिवक्ता चंद्रशेखर ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी है कि जिस वाहन के बारे में कहा जा रहा है कि वह दुर्घटना में शामिल है, वह वाहन नहीं है और यह एक प्रत्यारोपित वाहन है।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली। 

उच्च न्यायालय ने एक बीमा कंपनी के दावे की जांच का आदेश दिया है। जिसमें कहा गया है कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत मुआवजा पाने के लिए एक ही वाहन को कई दुर्घटनाओं में दिखाकर धोखाधड़ी की जा रही है। सर्वोच्च न्यायलय ने यह आदेश उड़ीसा उच्च न्यायालय के 19 मई 2022, के फैसले के ख़िलाफ़ ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी की याचिका पर पारित किया गया।

मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने की।

उड़ीसा हाई कोर्ट का क्या था आदेश?…………..

ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उड़ीसा उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी है। जिसके तहत प्रतिवादी दावेदारों को 19 अक्टूबर 2017, कोई एक दुर्घटना के लिए दावा आवेदन दाखिल करने की तिथि से 7% प्रतिवर्ष ब्याज के साथ 40, 42, 162 रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया गया था।

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सुनवाई के दौरान, बीमा कंपनी के अधिवक्ता एच. चंद्रशेखर ने सर्वोच्च न्यायलय के समस्त दलील दी है कि जिस वाहन के बारे में कहा जा रहा है कि वह दुर्घटना में शामिल है। अब वाहन नहीं है और यह एक प्रत्यारोपित वाहन है।

बीमा कंपनी के वकील की दलील…………

वकील ने पीठ के समक्ष तर्क दिया कि मृतक के भाई, जो कि सूचक भी है। वकील ने शुरू में कहा था कि एक अज्ञात वाहन ने उसके भाई को टक्कर मारी थी। लेकिन दो दिन बाद जब एफआईआर दर्ज़ की गई। तो वाहन का नंबर बिना किसी उचित कारण के बता दिया गया। पीठ ने 6 मार्च को पारित आदेश में कहा कि बीमा कंपनी के वकील ने जो कागजात प्रस्तुत किया कि 1 वर्ष के भीतर वह वाहन चार अन्य दावों में शामिल था।

दलीलें सुनने के बाद, पीठ ने क्या कहा?………….

हम पाते हैं कि हमारे पास किसी भी तरह से निर्णय लेने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है। लेकिन जब बीमा पॉलिसियों का दुरुपयोग किए जाने से एक संबंधित एक बड़ा मुद्दा शामिल होता है, और बीमा कंपनियों को दावेदारों को भारी मात्रा में मुआवजा देने की आवश्यकता होती है, तो यह आवश्यक हो जाता है की दावा वास्तविक तथ्यात्मक आधार पर आधारित हो।

अगली सुनवाई कब होंगी…………….

पीठ ने इस बात पर जोर दिया है कि बीमा कंपनियों को ऐसे दावे को अस्वीकार करने की शक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता, जो वास्तविक ना हों। पीठ ने ओडिशा राज्य के पुलिस महानिदेशक को एक विशेष जांच दल गठित करने और यह सत्यापित करने को कहा कि क्या संबंधित वाहन ही वास्तव में दुर्घटना में शामिल वाहन था, या यह कोई अन्य वाहन था। सर्वोच्च न्यायालय निर्देश दिया है कि 1 महीने के भीतर उसे रिपोर्ट सौंपी जाएं। मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल 2025 को होंगी।

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