दुनिया की कोई भी शक्ति लग जाए इस्तीफा नहीं दूंगी राज्यसभा से रिजाइन पर स्वाति मालीवाल से दो टूक बातचीत
अगर मेरी राज्यसभा की सीट उन्हें चाहिए थी, तो वह प्यार से मांगते तो मैं जान दे देती।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV9 भारत समाचार नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल ने पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री के आवास पर हुए कथित मारपीट मामले में कई आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि अरविंद केजरीवाल उस समय घर पर ही थे। इसलिए किसी को भी क्लीन चिट नहीं दी जा सकती है। वहीं राज्यसभा सीट से जुड़े एक सवाल पर स्वाति मालीवाल ने दो टूक कहा है, कि अब चाहे दुनिया की कोई भी शक्ति लग जाए वह इस्तीफा नहीं देगी।
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आप सांसद स्वाति मालीवाल ने कहा अगर मेरी राज्यसभा की सीट उन्हें चाहिए थी वह प्यार से मांगते तो मैं जान दे देती। संसदीय तो बहुत छोटी बात है मेरा पूरा करियर देखेंगे तो मैने कभी भी पद की कोई लालसा नहीं दिखाई। 2006 में इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर तब जुड़ी थी, जब कोई किसी को नहीं जानता था। मैं तब से कम कर रही हूं। मैं कोई पद में नहीं बांधी हूं। लेकिन जिस तरह से इन्होंने मुझे मारा पीटा है, अब चाहे दुनिया की कोई भी शक्ति लग जाए मैं इस्तीफा नहीं दूंगी।
स्वाति मालीवाल से बदसलूकी किए जाने के बाद कई जगह दावा किया गया था कि आम आदमी पार्टी एक वरिष्ठ वकील को राज्यसभा भेजने के लिए स्वाति मालीवाल से इस्तीफा दिलवाना चाहती थी। जिसके लिए वह तैयार नहीं थी।
स्वाति मालीवाल ने 13 मई की अपनी आपबीती याद करते हुए बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजि सहयोगी विभव कुमार ने उन पर हमला किया था और कहा कि वह किसी को क्लीन चिट नहीं दे रही है। उन्होंने कहा 13 मई को सुबह करीब 9:00 बजे मैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने उनके आवास पर गई। स्टाफ ने मुझे ड्राइंग रूम में बैठने के लिए कहा और बताया कि अरविंद केजरीवाल जी घर पर हैं और वह आ रहे हैं।
इसके बाद मुझसे मिलने के लिए अरविंद केजरीवाल जी के पीए विभव कुमार आक्रामक स्थिति में आए और मैंने पूछा क्या हुआ केजरीवाल जी आ रहे हैं मैंने इतना कहा कि इसके बाद उसने मुझे 7 से 8 बार थप्पड़ मारे, जब मैंने उसे धक्का देने की कोशिश की तो उसने मेरे पैर पकड़ लिए और मुझे घसीट दिया। मैं फर्श पर गिर गई और उसने मुझे अपने पैरों से पीटना शुरू कर दिया। मैं चिल्ला रही थी और मदद की गुहार लगा रही थी, लेकिन कोई वहां नहीं आया।
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