सेक्स वर्कर्स के अधिकार और सम्मान को ठेस न पहुंचे : डीजीपी
सेक्स वर्कर्स के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अक्षरश: पालन करने का पुलिस अधिकारियों को दिया निर्देश
लखनऊ। सेक्स वर्करों को अक्सर पुलिस की कार्यवाही के दौरान उत्पीड़न और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) विजय कुमार ने इस मामले में महत्वपूर्ण निर्देश जारी करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन कराएं। वेश्यालयों पर छापेमारी के दौरान पुलिस को यौनकर्मियों को गिरफ्तार नहीं करना चाहिए और न ही उनकी पहचान उजागर करनी है।
यह भी पढ़ें : भारत जोड़ो यात्रा के प्रथम वर्षगांठ पर आयोजित हुआ मोहब्बत की चाय कार्यक्रम
सेक्स वर्कर्स के मामले में हालिया फैसला सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने दिया है। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यौनकर्मी किसी अन्य नागरिक के समान ही अधिकार और सम्मान के हकदार हैं। यह निर्णय यौनकर्मियों के अधिकारों की रक्षा करने और समाज के भीतर उनके प्रति उचित व्यवहार को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
सुप्रीम कोर्ट ने यौनकर्मियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए जारी दिशानिर्देश के तहत
कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ स्वेच्छा से सहयोग करने वाले यौनकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने और यौनकर्मियों के खिलाफ उनकी सहमति के बिना की जाने वाली मनमानी कार्रवाई को रोकने के लिए है।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस अधिकारियों को शिकायत दर्ज कराने वाली यौनकर्मियों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। यौनकर्मियों की शिकायतों को किसी अन्य नागरिक की शिकायतों के समान ही गंभीरता से लेना महत्वपूर्ण है।
यौनकर्मियों के बीच यौन शोषण के पीड़ितों को चिकित्सा और कानूनी सहायता प्रदान की जानी चाहिए। यौनकर्मियों का यौन स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यदि कोई सेक्स वर्कर वयस्क है और उसने स्वेच्छा से यह पेशा चुना है, तो पुलिस को उनके खिलाफ किसी भी हस्तक्षेप या कानूनी कार्रवाई से बचना चाहिए। उनकी स्वायत्तता और विकल्पों का सम्मान महत्वपूर्ण है।
वेश्यालयों पर छापेमारी के दौरान पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यौनकर्मियों को किसी भी प्रकार का उत्पीड़न नहीं झेलना पड़े। पूरी प्रक्रिया के दौरान उनके अधिकारों और सम्मान की रक्षा की जानी चाहिए। साथ ही किसी यौनकर्मी को उसके बच्चे से अलग करने पर केवल वैध आधार पर विचार किया जाना चाहिए, न कि केवल उसके पेशे के आधार पर।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के इस ऐतिहासिक फैसले के तहत डीजीपी ने प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों को पत्र जारी कर कहा कि सेक्स वर्करों के मामले में सभी जिलों के पुलिस अधिकारी अक्षरश: आदेश का पालन करें। कहीं से भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उल्लंघन की शिकायत नहीं मिलनी चाहिए।
यह भी पढ़ें : भारत जोड़ो यात्रा के प्रथम वर्षगांठ पर आयोजित हुआ मोहब्बत की चाय कार्यक्रम