दीपोत्सव 29 अक्टूबर 3 नवंबर तक।
इस साल कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर की दोपहर करीब 3:00 से शुरू हो जाएगी और अगले दिन यानी 1 नवंबर की शाम करीब 4:30 बजे तक रहेगी।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV9 भारत समाचार (दीपोत्सव त्योहार)। इस साल दीपावली की तारीख को लेकर पंचांग भेद है, क्योंकि कार्तिक मास की अमावस्या 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को रहेगी। कार्तिक अमावस्या की रात में लक्ष्मी पूजा करने की परंपरा है, इसलिए 31 अक्टूबर की रात लक्ष्मी पूजा करनी चाहिए, क्योंकि 31 की रात में ही अमावस्या तिथि रहेगी और 1 नवंबर की रात में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी।
29 अक्टूबर को धनतेरस-
मंगलवार को, 29 अक्टूबर से दीपोत्सव शुरू हो जाएगा। इस दिन धनतेरस मनाई जाएगी धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि जयंती भी मानते हैं।
धनतेरस की रात में यमराज के लिए दीपक जलाने की परंपरा है, इस तिथि पर देवी लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है।
30 अक्टूबर को रूप चौदस –
बुधवार को, 30 अक्टूबर को रूप चौदस मनाई जाएगी इस नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन उत्तम लगाने की परंपरा है, माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्णा ने नरकासुर नाम के डेट का वध किया था। इसी वजह से इस पर्व को नरक चतुर्दशी कहते हैं।
31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा-
गुरुवार को, 31 अक्टूबर की रात देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाएगी। मान्यता है कि देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था और इस मंथन से कार्तिक मास अमावस्या पर देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थी। देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का वर्णन किया था।
इसके साथ एक अन्य मान्यता यह है कि इस स्थिति पर भगवान राम 14 वर्ष का वनवास खत्म करके और रावण वध करके अयोध्या लौटे थे। तब लोगों ने राम जी के स्वागत के लिए दीपक जलाए थे। जिसको हम दीपावली के रूप में मनाते हैं।
1 नवंबर को स्नान- दान की कार्तिक अमावस्या-
शुक्रवार को, 1 नवंबर को भी कार्तिक मासकी अमावस्या रहेगी। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान पुण्य करना चाहिए दोपहर में पितरों के लिए धूप ध्यान भी करें। इस दिन शाम को कार्तिक अमावस्या तिथि खत्म हो जाएगी।
2 नवंबर को गोवर्धन पूजा –
शनिवार को, 2 नवंबर को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा यानी गोवर्धनपूजा पर्व है, माना जाता है कि इस दिन मथुरा स्थित गोवर्धन पर्वत की पूजा करनें की परंपरा है। द्वापर युग में श्री कृष्ण ने ब्रज के लोगों को कंस की नहीं, गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा था, तब से ही इस पर्वत की पूजा की जा रही है।
3 नवंबर को भाई दूज –
रविवार को, 3 नवंबर को भाई दूज है। यह पर्व यमुना और यमराज से संबंधित है , माना जाता है कि इस तिथि पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने जाते हैं। यमुना यमराज को भोजन करती है मान्यता है कि इस तिथि पर जो भाई अपनी बहन के घर भोजन करता है, यमराज यमुना की कृपा से उसकी सभी सभी परेशानियां दूर होती हैं और भाग्य का साथ मिलता है।