धूमधाम से मनाया गया भाई दूज का पर्व

भाई दूज का पर्व दीपावली से 2 दिन बाद आता है। परंतु इस बार दीपावली से तीसरे दिन भाई दूज का पर्व मनाया गया।

मुकेश कुमार  (एडिटर इन चीफ) TV9 भारत समाचार बिजनौर (उत्तर प्रदेश)। रक्षाबंधन की तरह ही भाई दूज भी भाई बहन का त्यौहार है। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं और साथ ही व्रत भी करती हैं। जिस तरह रक्षाबंधन पर बहने भाई की कलाई पर धागा बांधती हैं इसी तरह भाई दूज के दिन भी बहने भाइयों का रोली से तिलक करती हैं और मौली बांधती हैं।

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इसके बाद भाई को मिठाई खिलाकर उन्हें नारियल देती हैं। दिवाली के साथ भाई दूज का त्योहार पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। सभी जगह पर इसे मानने की अलग-अलग मान्यता है। जहां उत्तरी भारत में बहनें भाइयों को तिलक और अक्षत लगाकर नारियल का गोला भेट में देती हैं, तो वहीं पूर्वी भारत में शंखनाद के बाद तिलक लगाकर कुछ भी उपहार देने की मान्यता है।

इस दिन बहनें अपने भाइयों की दीर्घाय के लिए व्रत रखती हैं, और भाई को भोजन कराने के बाद ही व्रत खोलती हैं। भाई दूज पर भाई को तिलक करने के बाद भोजन करने की धार्मिक मान्यता है। ऐसा कहा जाता है, कि जो बहन पूरी श्रद्धा और आदर के साथ तिलक और भोजन कराती है और जो भाई अपनी बहन का आदित्य स्वीकार करता है।

उनकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं और यमराज का भय नहीं रहता है। मान्यता है, कि यदि कोई भाई बहन के घर जाकर भोजन करता है तो वह अकाल मृत्यु से बच सकता है। कहा जाता है, कि जो भी भाई-बहन यह पर्व पूरे विधि विधान से मनाते हैं। तो उनकी किसी दुर्घटना में मृत्यु होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

साथ ही भाई दूज मानने  से बहनों भाइयों को सुख समृद्धि संपत्ति और धन की प्राप्ति होती है। स्कंद पुराण की कथा के अनुसार भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा के दो संतान थी जिसमें बेटा यमराज और बेटी यमुना थी। यम पापियों को दंड देते थे। यमुना मन की निर्मल थी और उन्हें लोगों की परेशानी देख दुख होता था।इसलिए वह गोलोक में रहती थी।

एक दिन जब बहन यमुना ने भाई यमराज को गोलोक में भेजने के लिए बुलाया तो बहन के घर जाने से पहले यम ने नर्क के निवासियों को मुक्त कर दिया था। दूसरी कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण रक्षस नरकासुर को हारने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। तभी से इस दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।

मान्यता है, कि सुभद्रा की तरह भाई के माथे पर तिलक लगाकर सत्कार करने से भाई-बहन के बीच प्रेम बढ़ता है। इस दिन भाई बहन को साथ यमुना मैं स्नान करने की भी मानता है। इस दिन श्रद्धा पूर्वक अपने पापों की माफी मांगने पर यमराज आपको क्षमा कर देते हैं। हिंदुओं के प्रमुख त्यौहार में भाई दूज का भी बड़ा महत्व है।

भाई दूज का पर्व दीपावली से दो दिन बाद आता है। परंतु अबकी बार तीसरे दिन 15 नवंबर 2023 को मनाया गया। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना भी करती है।

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