अनशन पर बैठे छात्राओं की बिगड़ी हालत: भागलपुर विश्वविद्यालय में तनाव…देखें Video
अनशन पर बैठे छात्राओं की बिगड़ी हालत: भागलपुर विश्वविद्यालय में तनाव
रिपोर्ट : अजय कुमार, भागलपुर
भागलपुर: बिहार। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में छात्रों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। पिछले तीन दिनों से छात्राएं अपने प्रोफेसर दिव्यानंद देव के तबादले के खिलाफ अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हैं। इस प्रदर्शन के कारण कई छात्राओं की हालत गंभीर हो गई है और उन्हें भागलपुर के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
जानिए क्या था विवाद?
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आपको बताते चलें कि 31 जनवरी को, विभाग में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें प्रोफेसर दिव्यानंद देव अपने जन्मदिन पर कृत्रिम तलवार से केक काटते हुए नजर आए थे। इसके साथ ही, छात्र-छात्राएं डांस करते हुए भी दिखाई दिए। इस वीडियो के वायरल होने के बाद, विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की थी। इसके बाद, कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर प्रोफेसर दिव्यानंद देव को नारायणपुर कॉलेज में ट्रांसफर कर दिया गया था।
वायरल ऑडियो ने बढ़ाई चिंता
इस बीच, जांच कमेटी के एक सदस्य का ऑडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने प्रोफेसर के ट्रांसफर की बात की थी। इस ऑडियो में यह भी बताया गया था कि कैसे पूर्व रजिस्ट्रार विकास चंद्रा के साथ कर्मचारियों द्वारा की गई मारपीट को हल किया गया और कर्मचारियों को निर्दोष करार दिया गया। इस ऑडियो के बाद छात्राओं में आक्रोश बढ़ गया और अब वे अनशन पर बैठ गए हैं।
अनशन पर बैठे छात्रों की स्थिति हो रही खराब
अनशन पर बैठे छात्रों का कहना है कि यदि गलती किसी ने की है, तो सजा उन्हीं को मिलनी चाहिए, न कि उनके प्रोफेसर को। प्रदर्शनकारियों की आंखों में आंसू थे और वे लगातार अपनी आवाज उठा रहे थे, ताकि उनके प्रोफेसर का ट्रांसफर रद्द किया जाए।
अस्पताल में भर्ती कराए गए छात्र-छात्राएं… देखें Video
अनशन के कारण कई छात्राओं की तबियत बिगड़ गई। उन्हें भागलपुर के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। स्थिति चिंताजनक बताई जा रही है, और छात्रों का कहना है कि जब तक उनके प्रोफेसर का ट्रांसफर वापस नहीं लिया जाता, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा।
गौर तलब हो कि यह मामला केवल एक विश्वविद्यालय के भीतर का नहीं बल्कि शिक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था की गंभीरता को भी दर्शाता है। छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन और उनकी स्थिति प्रशासन के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले को किस दिशा में ले जाता है और क्या छात्राओं की मांगें पूरी होती हैं या नहीं।