सीएम योगी ने किया विधानसभा की दर्शन दीर्घा का उद्घाटन, बोले- लोकतंत्र का पवित्र मंदिर विपक्ष के लिए ही प्रसन्नता का ऋण।

सीएम योगी ने कहा है कि लोकतंत्र के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में विधायिका का महत्वपूर्ण स्थान है। विधायक का एक प्रकार से मार्गदर्शिका है। सभी माननीय सदस्य न केवल विधायिका से जुड़ते हैं, बल्कि यह उन्हें विकास की, जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाने का भी एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराता है। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष जा का भी अभिनंदन करूंगा। जिन्होंने पौने तीन वर्ष के इस कार्यकाल में उत्तर प्रदेश की विधानसभा को न केवल लोकतंत्र के सशक्त स्तंभ के रूप में बल्कि आधुनिकता के साथ जोड़ने का भी काम किया है।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV 9 भारत समाचार लखनऊ (उत्तर प्रदेश )।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने सोमवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा के नवीनीकृत दर्शक दीर्घा का उद्घाटन किया है। इस अवसर पर उन्होंने इसे समस्त विधानसभा सदस्यों और प्रदेश की 25 करोड़ जनता को समर्पित करते हुए कहा है कि विधानसभा प्रदेश के समस्त नागरिकों के लिए लोकतंत्र का आधार है। यह लोकतंत्र का पवित्र मंदिर है। इस पवित्र मंदिर में जब कोई आए तो उसका फर्स्ट इंप्रेशन यहां की दर्शन दीर्घा के माध्यम से ही पड़े। यह सिर्फ सत्ता पक्ष ही नहीं, बल्कि विपक्ष के लिए भी प्रसन्नता का ऋण होना चाहिए, क्योंकि आप सभी की संस्तुति पर ही दर्शन दीर्घा के सुंदरीकरण का यह कार्यक्रम संपन्न हुआ है।

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सभी मंत्री और नेता विपक्ष को मूल संविधान की एक-एक प्रति भेंट की………….

दर्शक दीर्घा के उद्घाटन के अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने मु्ख्यमंत्री मंच पर उपस्थित सभी मंत्रियों एवं नेता विपक्ष को मूल संविधान की एक-एक प्रति भेंट की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने विधानसभा द्वारा दो पुस्तकों का भी विमोचन किया। इन पुस्तकों में देश की आज़ादी से लेकर अब तक मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष की संपूर्ण जानकारी दी गई है।

लोकतंत्र के सशक्त स्तंभ के साथ ही आधुनिकता से भी जुड़ी विधायिका।

सीएम योगी ने कहा है कि लोकतंत्र के एक स्तंभ के रूप में विधायिका का महत्वपूर्ण स्थान है। विधायिका एक प्रकार मार्गदर्शिका है। सभी माननीय सदस्या ना केवल विधायिका से जुड़ते हैं, बल्कि यह उन्हें विकास की, जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाने का भी एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराता है। इस अफसर विधानसभा अध्यक्ष जा का भी अभिनंदन करूंगा। जिन्होंने पौने तीन वर्ष के इस कार्यकाल में उत्तर प्रदेश की विधानसभा को ना केवल लोकतंत्र के सशक्त स्तंभ के रूप में, बल्कि आधुनिकता के साथ जोड़ने का भी काम किया है। यह गौरव, देश की सबसे बड़ी विधानसभा को जाता है, जिसने ई- विधान लागू किया है। आज आप देख सकते हैं कि आपके सामने ई- विधान किस रूप से सफलता पूर्वक लागू हो सकता है?

उत्तर प्रदेश विधानसभा पेपर लेस होकर इसका उदाहरण प्रस्तुत कर रही है। यह सिर्फ विधानसभा के लिए नहीं, बल्कि हम सबके लिए और 25 करोड़ की आबादी के लिए भी गौरवपूर्ण क्षण था। इसके साथ ही विधानसभा के गलियारे का किस रूप में सुंदरीकरण किया जाना चाहिए? यह भी आपने देखा होगा।

1952 के नियमों में संशोधन कर उसे लागू किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा संचालन के जो नियम 1952 में पहले विधानसभा गठन के तत्काल बाद लागू हुए थे, वे जैसे के तैसे पड़े थे। समय के अनुरूप मांग के आलोक में उसमें आवश्यक संशोधन नहीं हो पाए थे। यह कार्य भी इस दौरान सफलतापूर्वक संपन्न हुआ है। प्रश्न काल में हम देखते हैं कि केवल दो सदस्य ही नहीं, बल्कि 20-20 प्रश्नों का उत्तर मंत्रियों से पूछ सकते हैं और उनका जवाब भी यहां पर उनको हाथों -हाथ यहां पर प्राप्त होता हैं। यही सही लोकतंत्र है कि जब तक मान्य सदस्य संबंधित विभाग के मंत्री से संबंधित प्रश्नों का जवाब लेकर लोकहित से जुड़े हुए मुद्दों को रखने का माध्यम बनता है। यह ‌ तब हो पाया जब हम लोगों ने विधानसभा संचालनके नियमों में संशोधन करके यथा समय से उसे लागू भी किया। उन्होंने कहा कि विधानसभा में अपनी रुचि के अनुसार, विषय को रखने का मुद्दा हो या फिर एक दिन केवल महिला सदस्यों की चर्चा कर देने का निर्णय रहा हो, यह सब इस सदन ने देखा है।

विधायिका सशक्त लोकतंत्र का माध्यम।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि आज का दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 1952 से लेकर अब तक कब-कब, कौन-कौन नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष रहा?

उससे संबंधित एक प्रकाशन विधानसभा के शोध ग्रंथालय के माध्यम से प्रकाशित हुआ है। मुख्यमंत्री के रूप में किन-किन महानुभावों ने सदन की गरिमा को बढ़ाया है?

इसके विकास के लिए किन मुद्दों को उन्होंने छुआ है? और कैसे विकास को एक निरंतरता देने में योगदान किया है? यह जानना महत्वपूर्ण है।

लोकतंत्र और विधायिका में काम का आधार सत्ता और विपक्ष दोनों हैं। यही लोकतंत्र के दो पहिए हैं। दोनों जब मिलकर कार्य करते हैं तो एक सशक्त लोकतंत्र को जन्म देते हैं। उसका सशक्त माध्यम संवाद है, चर्चा परिचर्चा है। हमारा मुद्दों पर एक दूसरे से मतभेद हो सकता है, लेकिन संवाद बाधित नहीं हो सकता है। हम संवाद से उसे समस्या के समाधान का रास्ता निकालेंगे। चाहूंगा कि आप में से हर माननीय सदस्य को इसे अपने पास रखना चाहिए। नॉलेज के लिए भी और आने वाले पीढ़ी का विरासत में देने के लिए भी।

संविधान की मूल प्रति कराती हैं भारत का दर्शन।

सीएम योगी ने कहा है कि शीतकालीन सत्र के पहले विधानसभा अध्यक्ष ने एक सौगात और दी है। यह वर्ष भारत के संविधान को लागू करने की 75 वर्ष पूरा करने की ओर बढ़ रहा है। 26 जनवरी 2025 को भारत के संविधान को 75 वर्ष पूरे होंगे, और मैं आग्रह करूंगा कि सभी माननीय सदस्यों को बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी के अध्यक्षता में बनी संविधान के ड्राफ्टिंग समिति की एक-एक मूल प्रति उपलब्ध कराई जाएं। आप इसको पढ़िए, इसका एक-एक पेज वास्तव में भारत की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। भारत का दर्शन कराता हैं।

यह अवसर पर विधानसभा सतीश महाना,‌ उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक, संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना, नेता विपक्ष माता प्रसाद पांडेय मंच पर उपस्थित रहें।

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