सिविल सेवा की नौकरी छोड़ चुना,चिकित्सा सेवा को
चिकित्सक अपने क्लीनिक मे आने वाले गरीब परिवारों का निशुल्क इलाज करते है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर नई दिल्ली)TV9 भारत समाचार गोपालगंज (बिहार)। जनपद गोपालगंज के चिकित्सक डॉक्टर अभिषेक रंजन मध्यम वर्ग परिवार में जन्मे, जिन्होंने मरीजों की सेवा करने के लिए आईएएस की नौकरी को ठुकरा दिया। इसी साल डॉक्टर अभिषेक रंजन को यूपीएससी की परीक्षा में 887वां रैंक मिला। लक्षद्वीप कैडर के रूप मे उनका चयन हुआ।
लेकिन डॉक्टर अभिषेक रंजन ने अपने गांव तथा इलाके के मरीजों की सेवा करने के लिए नौकरी को ठुकरा दिया। चिकित्सक अपने क्लीनिक में आने वाले गरीब परिवारों के मरीजों का निशुल्क इलाज करते हैं। ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा सिविर भी लगते हैं। डॉक्टर अभिषेक रंजन अब तक 300 गांव में सिविर लगाकर 50000 से अधिक गरीब परिवार के मरीजों का इलाज कर चुके हैं।
मांझा प्रखंड के कोइनी गांव निवासी अभिषेक रंजन ने कटक मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई की है। पढ़ाई पूरी करने के बाद 2015 में पटना एम्स में चिकित्सक के पद पर उनकी नियुक्ति हुई। यहां 3 साल मरीजों की सेवा करने के बाद 31 मार्च 2019 को इस्तीफा देकर अपने गांव आ गए तथा शहर के जादोपुर रोड पर अपना क्लीनिक खोला।
इसी साल उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास की तथा लक्ष्यदीप कैडर में आईएएस के पद पर इनका चयन हुआ। लेकिन मरीजों की सेवा करने के लिए इन्होंने नौकरी ज्वाइन नहीं की। हृदय एवं छय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अभिषेक रंजन बताते हैं ,कि एम्स में चिकित्सक के पद पर तैनाती के दौरान दूर दराज के जिलों से आए गरीब लोगों की परेशानी देखकर काफी पीड़ा होती है।
गरीब लोग गरीबी के कारण अपना ठीक से इलाज नहीं कर पाते हैं। जिसे देखते हुए मैंने अपने जिले में जाकर मरीजों की सेवा करने का फैसला कर लिया। नौकरी छोड़कर अपने शहर में आकर क्लीनिक खोला।अभिषेक रंजन कहते हैं, कि गरीब लोग आसपास के झोलाछाप चिकित्सकों से अपना इलाज करवा कर दवा लेते हैं।
जिससे बीमारी गंभीर हो जाती है। गांव में सिविर लगाने का उद्देश्य गरीब मरीजों का इलाज करने के साथ ही उन्हें अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना भी है। अब इस अभियान में कुछ अन्य चिकित्सक तथा सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल होने लगे हैं। कोरोना कल में मरीजों की सेवा करने के सफर पर निकले डॉक्टर अभिषेक रंजन इस अभियान के तहत गांव गांव जाकर इलाज कर रहे हैं ।