छुट्टी के लिए फरियाद करता रह गया कांस्टेबल पत्नी और बच्चे की हो गई मौत
पुलिस विभाग में बढ़ रही संवेदनहीनता से विभागीय लोग परेशान।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV9 भारत समाचार जालौन (उत्तर प्रदेश)। सिपाही की पत्नी प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती हुई। सिपाही विभाग में छुट्टी की मांग करता रहा। लेकिन विभाग से छुट्टी नहीं मिल सकी और उधर देखरेख के अभाव में डॉक्टरों की लापरवाही से सिपाही की पत्नी और नवजात बच्ची की मौत हो गई।
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जब विभाग को इस बात की जानकारी मिली की छुट्टी मांगने वाले सिपाही के नवजात बच्ची और पत्नी की प्रसव के दौरान मौत हो गई है, तो पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया और आनंन फानन में पुलिस कप्तान ने पत्र जारी करके सभी थानेदार, क्षेत्राधिकार को छुट्टी स्वीकृत करने के कड़े निर्देश दे दिए। अब सवाल उठता है कि जिस सिपाही की पत्नी और बच्ची की मौत हुई है। उसकी मौत के बाद उस सिपाही के लिए कप्तान साहब के आदेश का क्या मतलब रह गया है। पुलिस विभाग में बढ़ती संवेदनहीनता के चलते विभाग के ही लोग परेशान होते जा रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आपको बता दें, कि एसओ साहब से एक पुलिस कांस्टेबल छुट्टी की जायज फरियाद करता है। जिसमें कारण बताया जाता है, कि संबंधित कांस्टेबल की पत्नी डिलीवरी हेतु अस्पताल में एडमिट है। लेकिन कप्तान साहब के आदेश अनुसार एसओ द्वारा कांस्टेबल को घर जाने की छुट्टी नहीं दी जाती है। इसी बीच कांस्टेबल विकास निर्मल की पत्नी एवं नवजात बच्ची के दुखद मौत हो जाती है। अंत में कांस्टेबल ने कप्तान से लगाई गुहार तब कहीं जाकर कांस्टेबल अपने गृह जनपद मैनपुरी के लिए निकलता है। जहां उसकी मासूम नवजात बच्ची और उसकी पत्नी दोनो मृत अवस्था मे पड़े हुए थे।
इस घटना से पता चलता है कि विभागों में नैतिकता का स्तर क्या है। हम एक इंसान होने के नाते हम कितना नीचे गिर रहे हैं। जरा सोच कर देखो और विचार करके देखो कि जो इंसान जिस परिवार के लिए बीबी,बच्चों के लिए रात दिन मेहनत करके ड्यूटी करता है, नौकरी करता है, मजदूरी करता है। वही इंसान अपने उस परिवार को आखिरी समय पर नहीं देख सकता, उसकी रक्षा नहीं कर सकता या उसकी जरूरतें पूरी न कर सके तो फिर ऐसी नौकरी, ऐसी मजदुरी किस काम की।
मामले को गंभीरता से लिया गया जाना चाहिए या नही लिया जाना चाहिए। क्या विभाग कोई एक कारण बता सकता है कि जिम्मेदार कप्तान और एसओ पर हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए या नही होना चाहिए। अब सब ठीक है उस कांस्टेबल ने अपना परिवार तो खो दिया है। अब वह आराम से ड्यूटी करेगा। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो या नही फिलहाल मामले में लीपापोती जारी है।
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