बुलडोजर जस्टिस पर SC का फ़ैसला, कार्यपालिका न्यायपालिका नहीं बन सकती, सुप्रीम कोर्ट।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान और अपराधी कानून के अनुसार, आरोपियों और दोषियों के भी कुछ अधिकार होते हैं। फैसले में कहा गया है कि महिलाएं और बच्चे रात भर सड़क पर रहे यह अच्छी बात नहीं है। याचिका कर्ताओं ने बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दायर की है याचिका।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार  (सुप्रीम कोर्ट ) । सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की बुलडोजर कार्यवाही पर रोक लगाई, इससे पूर्व भी रोक लगाई गई थी। तोड़फोड़ के लिए अधिकारियों को दंड की चेतावनी दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर फैसला सनाया। कोर्ट ने कहा कि अफसर जज नहीं बन सकते। वह तय न करें कि दोषी कौन है? ताकत के गलत इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

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शीर्ष अदालत ने कहा है कि अगर लोगों के घर सिर्फ इसलिए गिरा दिए जाएंगे कि वह आरोपी या दोषी हैं तो यह पूरी तरह संवैधानिक होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान तथा आपराधिक कानूनों के अनुसार, आरोपियों और दोषियों के कुछ अधिकार होते हैं। फैसले में कहा गया है कि महिलाएं और बच्चे रात भर सड़क पर रहे, यह अच्छी बात नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने संपत्तियों को ढहाने के संबंध में कुछ दिशा निर्देश भी तय किए हैं।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद बुलडोजर एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी। और भी याचिकाकर्ताओं ने बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दायर की है याचिका। दाखिल याचिकाओं पर SC लागू होने वाले दिशा-निर्देश बनाएगा,सुप्रीम कोर्ट।इस फैसले के बाद उसके मुताबिक बुलडोजर कार्यवाही हो सकेंगी।

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किसी आरोपी का घर सिर्फ इसलिए नहीं गिराया जा सकता क्योंकि उस पर किसी अपराध का आरोप है।

जिसकी सच्चाई का निर्धारण सिर्फ न्यायपालिका ही करेगी। कोई अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करता है, तो उसे पर पूरी तरह से मनमानी या दुर्भावना पूर्ण तरीके से काम करता है, तो उसे बक्शा नहीं जा सकता है।