बिल के पक्ष में 269, विरोध में पड़े 198 वोट, कानून मंत्री ने की जेपीसी में भेजने की मांग।
"एक राष्ट्र एक चुनाव" पर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा है कि "एक राष्ट्र एक चुनाव" देश के प्रगति के लिए है। 5 साल में एक बार चुनाव होगा, पहले भी ऐसा ही हुआ करता था। 1952 से पहले चुनाव ऐसे ही होते थे कांग्रेस ने अनुच्छेद 350 का उपयोग करके विधानसभा को भंग कर दी थी। इस पर बात करें लेकिन सिर्फ विरोध के लिए विरोध करना ठीक नहीं है। वन नेशन वन लेसन पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा है कि यह भारत के संविधान में नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर एक हमला है। जिसका पुरजोर विरोध कांग्रेस पार्टी और इंडिया गठबंधन करेगा।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV 9 भारत समाचार भोपाल (मध्य प्रदेश )।
केंद्र सरकार के कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने “एक देश एक चुनाव” 129 वां संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश कर दिया। जिसका विपक्ष ने भारी विरोध किया है। कानून मंत्री ने विधायक पर व्यापक चर्चा के लिए इसे जेपीसी में भेजने की मांग की हैं। “एक देश एक चुनाव” बिल विधेयक को स्वीकार करने के लिए सदन में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक तरीके से वोटिंग हुई है। इसमें पक्ष में 269 तो विरोध में 198 बोर्ड पड़े हैं। विपक्ष के कुछ सदस्यों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग पर आपत्ति जताई, तो अमित शाह ने पर्ची से वोट डालने की स्पीकर को सलाह दी।
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विधेयक पर नेताओं की राय………..
“एक राष्ट्र एक चुनाव” पर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा है कि “एक राष्ट्र एक चुनाव” देश के प्रगति के लिए है। 5 साल में एक बार चुनाव होगा। पहले भी ऐसा ही हुआ करता था। 1952 से पहले चुनाव ऐसे ही हुआ करते थे। कांग्रेस ने अनुच्छेद 350 का उपयोग करके विधानसभा को भंग कर दिया था। इस पर बात करें, लेकिन सिर्फ विरोध के लिए विरोध करना ठीक नहीं है।
“वन नेशन वन इलेक्शन” पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा है कि यह भारत के संविधान और नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर एक हमला है। जिसका पुरजोर विरोध कांग्रेस पार्टी और इंडिया गठबंधन करेगा। यह बिल भाजपा की मनसा व्यक्त करता है कि वह किस प्रकार से भारत के चुनाव की निष्पक्षता को छीनने की कोशिश कर रहे हैं। भारत में निष्पक्ष चुनाव की हमारी मांग है।
“एक देश एक चुनाव” बिल के बारे में समझें………..
- इस बिल के जरिए पूरे देश में लोकसभा में राज्य विधानसभा का एक चुनाव कराया जाएंगा।
- भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने इस बिल का समर्थन किया हैं।
- केंद्रीय मंत्रीमंडल ने सितंबर में एक साथ चुनाव कराने वाले इस बिल को उच्च स्तरीय समिति को पेश करने वाले सिफारिशों का समर्थन किया था।
- इस समिति के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बनाए गए थे।
बिल पास करना मुश्किल…………..
- “एक देश एक चुनाव” को पारित करने के लिए सरकार ने दो बिल लोकसभा में लेकर आई है। इसमें एक संविधान संशोधन बिल हैं। ऐसे में इसको पारित कराने के लिए सरकार के पास दो तिहाई बहुमत का होना बहुत जरूरी है।
- लोकसभा की 543 सीटों में से एनडीए के पास 292 सीटें हैं। यह दो-तिहाई बहुमत से काफ़ी कम है।
- एनडीए को 362 सांसदों के समर्थन की ज़रूरत होंगी।
- राज्यसभा की 245 सीटों में एनडीए के पास 112 सांसद है। उसके पास 6 मनोनीत सांसदों का समर्थन है। लेकिन उसको ज़रूरत दो-तिहाई बहुमत की है। यानी कि उसके पास 164 सांसदों का समर्थन होना ज़रूरी हैं।
- बल के विरोध में INDIA के 205 सांसद खड़े हैं। ऐसे में सरकार को इस बिल को पास कराने में बहुत बड़ी चुनौती मिलने वाली है।
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