बिहार में महापर्व छठ में धर्म पर आस्था पड़ी भारी, बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं भगवान भास्कर को देंगी अर्घ्य।
मुजफ्फरपुर के कालीबाड़ी की रहने वाली मुस्लिम समुदाय की महिला सायरा बेगम ऐसी ही एक महिला है, जो पिछले 8 साल से छठ पर्व कर रही हैं। उनके परिवार के अन्य सदस्य भी इस पर्व में उनकी मदद करते हैं।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार पटना (बिहार)। बिहार में आम से लेकर खास लोग लोकआस्था के महापर्व छठ की तैयारियों में जुटे हुए हैं। सभी लोग छत में व्यस्त हैं। सबसे बड़ी बात है कि इस महापर्व पर धर्म पर आस्था भारी दिख रही है। प्रदेश के कई इलाकों में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग न केवल छठ घाटों की साफ सफाई में व्यस्त है, बल्कि इस समाज की महिला छठ पर्व भी कर रही है।
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मुजफ्फरपुर के कालीबाड़ी की रहने वाली मुस्लिम समुदाय की महिला सायरा बेगम ऐसी एक महिला है जो पिछले 8 साल से छठ पर्व कर रही है। ऐसा नहीं कि इस पर्व का इंतजार सायरा बेगम को ही रहता है, बल्कि उनके परिवार खाने सदस्य भी इस पर्व में उनकी मदद करते हैं।
सायरा बेगम बताती है कि वह छठ पर्व पर सूर्य देवता को अर्घ्य कर अपनी मन्नत को पूरा कर रही है। वह बताती है,”मेरे पति अक्सर बीमार रहते थे, 2015 में मैंने छठी मैया से मन्नत मांगी थी कि अगर उनके शहर की तबीयत ठीक हो जाएगी तो वह छठ पूजा करेंगी। इसके अगले साल ही छठी मैया की कृपा से उनके पति की तबीयत ठीक हो गई। तब से लेकर अब तक प्रतिवर्ष में पूरे विधान से छठ व्रत कर रही हूं। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि वह जब तक जिंदा रहेंगी, तब तक वह यह पर्व करती रहेंगी।
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ऐसे ही सीतामढ़ी की बाजितपुर की रहने वाली जैमुन खातून भी पिछले कई वर्षों से पूरे विधि विधान से छठ पूजा करती हैं। यही नहीं इस गांव की रहने वाली कई मुस्लिम महिलाएं भी छठ पूजा करती हैं। इन महिलाओं का दावा है कि उन्हें हिंदू समुदाय के लोगों का भी सहयोग मिलता है। बिहार की जेलों में भी मुस्लिम समाज के कैदी इस साल छठ पूजा कर रहे हैं। मुजफ्फरपुर के शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में भी इस साल बड़ी संख्या में कैदी छठ व्रत की तैयारी में जुटे हुए हैं। बताया जाता है कि इस जेल के 47 महिला और 49 पुरुष कैदी छठ पर्व पर छठ व्रत कर रहे हैं। इनमें तीन मुस्लिम और एक सिख धर्म को मानने वाले हैं।
छठ करने वाली मुस्लिम महिलाएं बताती है कि वह छठ महापर्व पूरी शुद्धता के साथ करती हैं, और दशहरा खत्म होने के बाद घर में लहसुन प्याज का इस्तेमाल भी बंद कर दिया जाता है। कुल मिलाकर कहा जाता है कि लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा ना केवल स्वच्छता का संदेश दे रहा है, बल्कि सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल भी पेश कर रहा है।