उत्तर प्रदेश में पंचायत सहायकों के लिए बड़ा आंदोलन, कांग्रेस ने छेड़ा संघर्ष

मानदेय बढ़ाने और स्थायीकरण की मांग, 12 मार्च को पदयात्रा का ऐलान

बहराइच। उत्तर प्रदेश के पंचायत सहायकों के मानदेय बढ़ाने और स्थायीकरण की मांग को लेकर कांग्रेस कमेटी के राजीव गांधी पंचायती राज संगठन ने बड़े स्तर पर संघर्ष छेड़ने का ऐलान किया है। इस आंदोलन के तहत 12 मार्च को दांडी मार्च दिवस पर पदयात्रा निकालकर जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

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पंचायत सहायकों को सिर्फ ₹6000 मानदेय, स्थायीकरण की मांग तेज 

कांग्रेस नेता विनय सिंह ने बताया कि 2021 में तत्कालीन सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत सहायकों की नियुक्ति की थी, ताकि ये ग्राम पंचायतों में जनता की समस्याओं के समाधान में मदद कर सकें। प्रदेश के 56,642 पंचायत सहायकों को मात्र ₹6000 मासिक मानदेय पर नियुक्त किया गया, जबकि उनसे पंचायत सचिवों के अधीनस्थ रहकर कई बड़े काम करवाए जाते हैं।

नेताओं का कहना है कि कम वेतन के बावजूद पंचायत सहायकों से भारी मात्रा में प्रशासनिक कार्य लिए जाते हैं, लेकिन उनका स्थायीकरण नहीं किया गया। ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने उनके अधिकारों के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया है।

आंदोलन को सफल बनाने के लिए संगठनों का समर्थन

इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए कांग्रेस के विभिन्न संगठनों जिला कांग्रेस सेवा दल, पिछड़ा वर्ग विभाग, अनुसूचित जाति विभाग, अल्पसंख्यक विभाग, किसान कांग्रेस, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं उत्तराधिकारी संगठन आदि से सहयोग मांगा गया है।

इस दौरान रामदीन गौतम, इंद्र कुमार यादव, रमेश चंद्र मिश्र, मूलचंद राव, रामनरेश यादव, अवधराज पासवान, अमर सिंह वर्मा, जगतराम चौहान सहित कई प्रमुख नेताओं को आंदोलन की जिम्मेदारी दी गई है।

स्वतंत्रता संग्राम की धरोहरों की उपेक्षा पर भी सवाल

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सरकार आजादी की धरोहरों की उपेक्षा कर रही है, जिसे लेकर भी प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया जाएगा। आंदोलनकारियों का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

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