भव्य से विराट हुई विश्व विख्यात चिता भस्म की होली, भूत- पिशाच बटोरी दिगंबर खेलें मसाने में होली।

इस परंपरा को पूर्ण जीवित किया बाबा महा शमशान नाथ मंदिर के व्यवस्थापक काशी पुत्र गुलशन कपूर ने जो पिछले 24 वर्षों से इस परंपरा को भव्य रूप देकर दुनिया के कोने-कोने तक जन सहयोग और आप सभी मीडिया कर्मियों की विशेष सहयोग अपार प्रेम से पहुंच पा रहे हैं। गुलशन कपूर ने इस कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि काशी में यह मानता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का गौना कराकर अपने धाम काशी लाते हैं। जिसे उत्सव के रूप में काशी वासी बनाते हैं और रंग का त्योहार होली का प्रारंभ माना जाता है। इस उत्सव में सभी शामिल होते हैं।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार काशी (उत्तर प्रदेश )।

रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर खेली गई चिता भस्म की होली…..

सुबह से भक्तजन दुनिया के दुर्लभ, चिता भस्म से खेली जाने वाली होली की तैयारी में लग गए थे और जहां दुःख व अपनों से बिछड़ने का संताप देखा जाता था। वहां आज के दिन शहनाई की मंगल ध्वनि बजती है। हर शिवगण अपने-अपने लिए उपयुक्त स्थान खोजकर इस दिव्य और आलौकिक दृश्य को अपनी अंतरात्मा में उतार कर शिवोहम् होने को अधीर हुए जाता है। संपूर्ण विश्व में मणिकर्णिका घाट ही एक ऐसा महा मसान है, जहां दुःख नहीं उत्सव होते हैं। जहां लोग देह त्यागने आते हैं फिर भी जिनकी किस्मत में होता है, वहीं यहां देह त्याग पाता हैं।

जब समय आता है बाबा के मध्याह्न स्नान का उस समय मणिकर्णिका तीर्थ पर तो भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था हजारों- हज़ारों की संख्या में भक्तों का जनसैलाब मणिकर्णिका घाट पर पहुंच रहा था।

कहा जाता है कि बाबा दोपहर में मध्याह्न स्नान करने मणिकर्णिका तीर्थ आते हैं। सभी लोग तीर्थ स्नान करके यहां से पुण्य लेकर अपने स्थान जाते हैं।

अंत में बाबा स्नान के बाद अपने प्रिय गणों के साथ मणिकर्णिका महा मसान पर आकर चिता भस्म से होली खेलते हैं। वर्षों की यह परंपरा अनादि काल यहां भव्य रूप से मनाई जा रही है।

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इस परंपरा को पुनर्जीवित किया बाबा महा श्मशान नाथ मंदिर के व्यवस्थापक काशी पुत्र गुलशन कपूर ने जो पिछले 24 वर्षों से इस परंपरा को भव्य रूप देकर कोने-कोने तक जन सहयोग व सभी मीडिया कर्मियों के विशेष सहयोग से अपार प्रेम से पहुंचा पा रहे हैं।

गुलशन कपूर ने कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा है कि काशी में यह मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का गौना (विदाई) कराकर अपने धाम काशी लाते हैं और रंग का त्योहार होली का प्रारंभ माना जाता है। इस उत्सव में सभी शामिल होते हैं।

जैसे – देवी-देवता , गंधर्व, मनुष्य और जो शामिल नहीं होते हैं, वह है – बाबा के प्रिय गण भूत, प्रेत, पिशाच, किन्नर, दृश्य, अदृश्य, शक्तियां, जिन्हें बाबा ने स्वयं आमजन मानस के बीच जान से रोक रखा है।

लेकिन बाबा तो बाबा है, वह कैसे अपनों की खुशियों पर ध्यान नहीं देते, अंत में सबका बेड़ा पार लगाने वाले  “शिव शंकर भोलेनाथ”  उन सभी के साथ चिता भस्म की होली खेलने मसान आते हैं और आज सही संपूर्ण विश्व को प्रसन्नता, हर्षोल्लास देने वाले इस त्योहार होली का आरंभ होता है‌। जिसमें दुश्मन भी गले मिल जाते हैं।

इस पारंपरिक उत्सव को काशी के मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच मनाया जाता है। जिसे देखने दुनिया भर से लोग काशी आते हैं, और इस अद्भुत, अद्वितीय, अकल्पनीय होली को देखकर, खेलकर दुनिया की अलौकिक शक्तियों के बीच अपने आप को खड़ा पाते हैं। जीवन के शाश्वत सत्य से परिचित होकर बाबा में अपने को आत्मसात करते हैं।

आज इस आयोजन में गुलशन कपूर ने बाबा महा श्मशान नाथ और माता मसान काली ( शिव शक्ति ) का मध्याह्न आरती कर बाबा को जया, विजया, मिष्ठान, सोमरस का भोग लगाया जाता है और बाबा व माता को चिता भस्म, नीला गुलाल चढ़ाया जाता और जैसे कि द्वारका जी का संदेश था होली योगेश्वर श्रीकृष्ण-राधा का भी प्रिय त्योहार है।

इस कारण इस वर्ष हर और हरी दोनों के लिए भस्म के साथ नीला गुलाल, माता मसान काली का लाल गुलाब चढ़ाकर होली प्रारंभ की गई। मंदिर प्रांगण और शवदाह स्थल भस्म से भर जाता है।

इस उत्सव में इस वर्ष विशेष रूप से जगत गुरु सतुवा बाबा श्री संतोष दास जी महाराज, अघोर पीठाधीश्वर कपाली बाबा जी महाराज, गुलशन कपूर ( मंदिर व्यवस्थापक ), श्री चेनू प्रसाद गुप्ता ( अध्यक्ष ), विजय शंकर पांडेय, अंकित, राजू पाठक, बिहारी लाल गुप्ता, सोनू कपूर, संजय गुप्ता, मनोज शर्मा, दीपक तिवारी, विवेक चौरसिया, अजय गुप्ता, करन जायसवाल, सुबोध वर्मा सहित हज़ारों भक्त शामिल हुए।

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