भारत में जल्द दौड़ेगी 1200 किलोमीटर/ घंटा की सुपरफास्ट ट्रेन, हाइपरलूप से आएंगी नई क्रांति।

एशिया की सबसे लंबी हाइपरलूप ट्यूब 410 मीटर...... जल्द ही दुनिया की सबसे लंबी होंगी। मीडिया से बात करते हुए वैष्णव ने कहा कि हाइपरलूप परिवहन के लिए संपूर्ण प्रशिक्षण प्रणाली स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके विकसित की गई है। मंत्री ने इस सफल परीक्षण के लिए आईआईटी चेन्नई की युवा इनोवेटर्स टीम और अविष्कार संस्था को बधाई दी।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार चेन्नई।

भारत जल्द ही हाइपरलूप परिवहन के लिए तैयार हो जाएंगा। यह तकनीक, आईआईटी मद्रास में विकसित की जा रही है। अब तक किए गए परीक्षणों में अच्छे परिणाम दिए हैं। यह बातें केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहीं। शनिवार को आईआईटी मद्रास में हाइपरलूप परीक्षण का निरीक्षण करने के बाद वैष्णव ने कहा कि 410 मीटर लंबी हाइपरलूप जल्द ही दुनिया की सबसे लंबी ट्यूब होंगी।

एक्स पर एक पोस्ट में मंत्री ने कहा, “एशिया की सबसे लंबी हाइपरलूप ट्यूब 410 मीटर….. जल्द ही दुनिया की सबसे लंबी होंगी। मीडिया से बात करते हुए वैष्णव ने कहा कि हाइपरलूप परिवहन के लिए संपूर्ण परीक्षण प्रणाली स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके विकसित की गई है।

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मंत्री ने इस सफल परीक्षण के लिए आईआईटी चेन्नई की युवा इनोवेटर्स टीम और अविष्कार संस्था को बधाई दी।

क्या है हाइपरलूप?……….

यह एक हाई स्पीड ट्रेन है। जो एक ट्यूब में वैक्यूम में चलती है। जिससे यह 1200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंच सकती है। केंद्रीय मंत्री ने आईआईटी मद्रास डिस्कवरी कैंपस में हाइपरलूप परीक्षण का निरीक्षण किया और इसका लाइव प्रदर्शन देखा। मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत जल्द ही हाइपरलूप परिवहन के लिए तैयार हो जाएंगा। क्योंकि हाइपरलूप परिवहन तकनीक, जो अभी विकास के चरण में है।

तकनीकी सहायता प्रदान की गई………….

रेल मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हाइपरलूप परियोजना के लिए रेल मंत्रालय को वित्तीय निधि और तकनीकी सहायता प्रदान की गई है। अब इस हाइपरलूप परियोजना के लिए सभी इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी का विकास आईसीएफ चेन्नई में किया जाएगा।

वैष्णव ने कहा कि आईसीएफ कारखाने के उच्च कुशल विशेषज्ञों ने वंदे भारत हाई स्पीड ट्रेनों के लिए बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स प्रणालियों को सफलतापूर्वक विकसित किया है। हाइपरलूप परियोजना के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्रौद्योगिकी भी आईसीएफ में विकसित की जाएंगी।

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