भाजपा और कांग्रेस के लिए दिल्ली विधानसभा का चुनाव एक चुनौती? क्या कांग्रेस वोट कटवा पार्टी बनेंगी या दिल्ली की सत्ता में करेंगी वापसी?
दिल्ली विधानसभा का चुनाव त्रिकोणीय बन गया है। और समय-समय पर तीनों की पार्टियां आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली की सत्ता पर अपना राज किया है। भाजपा और कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए लड़ रही है। वही आम आदमी पार्टी अपने सरकार को बचाने के लिए लड़ रही है। देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी और देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को एक नई नवेली आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सत्ता से बाहर कर पहली बार अपनी सरकार बनाई थी। और धीरे-धीरे आम आदमी पार्टी ने मानो दिल्ली के सत्ता पर कब्ज़ा कर दिल्ली की जनता के दिलों में लंबे समय के लिए अपना राज कर लिया। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियां आम आदमी पार्टी को दिल्ली के सत्ता से बेदखल करने के प्रयास कर रही है। मगर दिल्ली में आम आदमी पार्टी अधिक मज़बूत होती जा रही है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली।
दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद, अब सब की नज़र सबसे पुराने पार्टी कांग्रेस पर है। क्या कांग्रेस दिल्ली में वोट कटवा पार्टी बनेंगी या दिल्ली की सत्ता में वापसी करेंगी? इस पर केंद्र की सत्ता में काबिज़ भारतीय जनता पार्टी और दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ आम आदमी पार्टी सहित चुनावी विश्लेषकों की भी नज़र है। दिल्ली चुनाव में कांग्रेस ने जिस प्रकार से अपने मज़बूत उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, उससे भाजपा और आम आदमी पार्टी के नेता, कांग्रेस से होने वाले नफा और नुकसान का आकलन करने में जुट गए हैं।
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियां आम आदमी पार्टी को दिल्ली की सत्ता से बेदखल करने के प्रयास कर रही है। मगर दिल्ली में आम आदमी पार्टी अधिक मज़बूत होती रहीं और उसने दिल्ली ही नहीं बल्कि पंजाब में भी चुनाव जीतकर पंजाब की सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया। पंजाब से कांग्रेस और भाजपा को बेदखल का राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनकर भाजपा और कांग्रेस की कतार में खड़ी हो गई। अब भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए दिल्ली विधानसभा का चुनाव एक चुनौती है। चुनौती दोनों पार्टियों को आम आदमी पार्टी से है जो अब उन्हीं की तरह राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बन चुकी है।
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विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी जितना परेशान भाजपा को लेकर नहीं है। उससे कहीं अधिक वह कांग्रेस को लेकर नज़र आ रही है। परेशानी का सबसे बड़ा कारण यह है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता पर इसलिए है क्योंकि उसने कांग्रेस के पारंपरिक मतदाताओं को आकर्षित कर सत्ता हासिल की थी। आम आदमी पार्टी को डर है कि कांग्रेस का पारंपरिक वोट वापस कांग्रेस में जाकर शिफ्ट ना हो जाएं। क्योंकि कांग्रेस ने देश में संविधान बचाओ आरक्षण बचाओ का अभियान चला रखा है। जिसका फायदा कांग्रेस को गत चुनाव लोकसभा चुनाव में भी मिला था।
भाजपा के रणनीतिकार चाहते हैं कि कांग्रेस मजबूती के साथ चुनाव लड़े। इसका फ़ायदा भाजपा को चुनाव में और चुनाव के बाद यदि कांग्रेस को अधिक विधानसभा सीट जीतने को मिली तो फ़ायदा भाजपा सरकार को होंगा। यदि दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ और परिणाम श्री त्रिशंकु सरकार बनने के आए तो ऐसे में भाजपा अपनी सरकार बनाने में सफल हो सकती है। क्योंकि देश के सामने अनेक ऐसे उदाहरण है जब भाजपा अपने बहुमत नहीं मिलने के बाद भी जोड़-तोड़ कर अपनी सरकार बनाई है। इसलिए भाजपा के रणनीतिकार चाहते हैं कि दिल्ली में कांग्रेस आम आदमी पार्टी को मज़बूत टक्कर देकर अधिक से अधिक सीट जीतें।
दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी के आरक्षण बचाओ, संविधान बचाओ अभियान पर है। क्या दिल्ली में कांग्रेस को यह अभियान कांग्रेस के पारंपरिक मतदाताओं कांग्रेस में घर वापसी करवा कर सत्ता में वापसी करवा देगा? इस पर सभी की नज़र है। लेकिन कांग्रेस मजबूती के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव में खड़े रहने से आम आदमी पार्टी को कोई नुकसान नहीं बल्कि फायदा ही होगा। यदि कांग्रेस मजबूती के साथ चुनाव नहीं लड़ती है तो सीधी टक्कर में आम आदमी पार्टी को भारतीय जनता पार्टी बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है और अपनी सरकार भी बन सकती है। क्योंकि ऐसे अनेक उदाहरण है जब भारतीय जनता पार्टी ने हारी हुई बाजी को जीतकर अपनी सरकार बनाई है।
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