अयोध्या में सरयू नदी पर 2800 करोड़ से बनेगा बैराज, डीपीआर तैयार
बैराज निर्माण में भूकंपरोधी तकनीक का होगा इस्तेमाल
अयोध्या। भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के साथ ही त्रेतायुगीन नगरी में जल्द ही बैराज का निर्माण होने जा रहा है। योगी सरकार की ओर से इसके लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है। योजना का डीपीआर भी बनकर तैयार है। बैराज निर्माण में 2800 करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान है। 1200 मीटर लंबे बैराज के निर्माण का काम जनवरी 2024 से शुरू हो जाएगा। बैराज बनने से नया घाट से गुप्तारघाट तक गर्मियों में भी लबालब पानी रहेगा।
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सिंचाई विभाग की अनुसंधान एवं नियोजन शाखा बैराज निर्माण के लिए सरयू नदी का जलस्तर घटने-बढ़ने का भी सर्वे करा चुकी है। भौगोलिक सर्वे के उपलब्ध डाटा को मॉडल स्टडी के लिए सिंचाई अनुसंधान शाखा रुड़की भेजा गया है। वहां की रिपोर्ट के बाद बैराज निर्माण के स्थल का चयन किया जाएगा।
वैसे अभी तक बैराज का निर्माण अयोध्या को गोंडा से जोड़ने वाले पुराने सरयू पुल पर रेलवे पुल के बीच में जगह प्रस्तावित है। बैराज में 15-15 मीटर चौड़ाई पर 45 गेट 7.3 मीटर ऊंचाई में लगेंगे। बैराज की भंडारण क्षमता 230 मिलियन क्यूबिक मीटर होगी। इसके निर्माण में भूकंपरोधी तकनीक का भी इस्तेमाल होगा।
पेयजल आपूर्ति की चिंता से मुक्त होगी अयोध्या
बैराज के निर्माण से अयोध्या नगर निगम को वर्ष 2051 तक पेयजल आपूर्ति की चिंता से मुक्ति मिल जाएगी। अभी बैराज निर्माण से रामनगरी के पर्यावरण पर कितना प्रभाव पड़ेगा, इसको लेकर अध्ययन चल रहा है। सारे अध्ययन व एनओसी की प्रक्रिया दिसंबर तक पूरी हो जाएगी और जनवरी 2024 से बैराज निर्माण का काम शुरू होने की पूरी उम्मीद है। बैराज का निर्माण इस तरह से होगा कि भविष्य में जलयान को गुजरने के लिए अपेक्षित मार्ग मिल सके।
सिंचाई विभाग के अभियंता सुशील यादव ने बताया कि बस्ती जिले के छावनी क्षेत्र में स्थित सरयू नहर खंड के अयोध्या पंप कैनाल को भी इससे लिंक करने की योजना है। इससे पंप हाउस की सिंचन क्षमता 10 हजार से बढ़कर 20 हजार हेक्टेयर हो जाएगी। अभी तक सिर्फ खरीफ सीजन में ही पंप हाउस से किसानों को सिंचाई के लिए पानी विभाग उपलब्ध कराता था। लेकिन कुछ वर्षों बाद बैराज के निर्माण से खरीफ के साथ रबी सीजन में भी किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलने लगेगा।
बैराज निर्माण से गुप्तारघाट से अयोध्या के घाटों तक हमेशा श्रद्धालुओं के स्नान के लिए पानी उपलब्ध रहेगा। आपको बता दें कि बरसात के बाद मौसम बदलने पर सरयू नदी में जल की कमी हो जाती है, धारा घाटों से दूर चली जाती है, जिससे श्रद्धालुओं को स्नान ध्यान में काफी दिक्कत होती थी। पानी की कमी से नाव भी नहीं चल पाती थी इन सभी समस्याओं को देखते हुए बैराज के निर्माण का निर्णय लिया गया है।
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