बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होते ही चार धाम यात्रा समापन, इस बार बने यह रिकॉर्ड।
केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने यात्रा व्यवस्थाओं से जुड़े पुलिस प्रशासन सेवा आईटीबीपी, एसडीआरएफ सहित सभी भागों और मंदिर समिति के अधिकारियों, कर्मचारियों को यात्रा के सब कुशल संपन्न होने पर बधाई व शुभकामनाएं दी हैं।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार बद्रीनाथ धाम (उत्तराखंड)। बद्रीनाथ धाम के कपाट रविवार को रात 9 बज कर 7 मिनट पर शीतकाल के लिए विधि विधान के साथ बंद कर दिए गए हैं। इधर आने का ज्यादा श्रद्धालु इस पल के साक्षी बने। सेवा के भक्तिमय बैंड की धुनों और श्रद्धालुओं दोनों की आस्था के सामूहिक जय घोष के बीच बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए हैं।
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इस दो राजस्थानी लोक कलाकारों तथा महिला मंगल दल बामणी, पांडुकेश्वर, माणा की महिलाओं ने लोक नृत्य प्रस्तुत किए, और बद्री विशाल के जागर गए। वही बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही चार धाम यात्रा 2024 का समापन हो गया है। इस अवसर पर श्री बद्रीनाथ, केदारनाथ मंदिर के अध्यक्ष अजेंद्र अजय नहीं यात्रा व्यवस्था हो तो जुड़े पुलिस प्रशासन, सेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ, सहित सभी भागों और मंदिर समिति के अधिकारियों ,कर्मचारियों को यात्रा के सकुशल संपन्न होने पर बधाई पर शुभकामनाएं दी।
अब तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, इस साल बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम में 30 लाख से भी ज्यादा तीर्थयात्री पहुंचें। चारों धामों में 46 लाख, 17 हजार, 445 श्रद्धालुओं ने चार धाम के दर्शन किए हैं। इस बार यात्रा सीजन 10 में 2024 को शुरू हुआ था। जबकि 12 में को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले थे।
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बद्रीनाथ धाम में 14 लाख, 35 हजार, 341 तीर्थयात्री दर्शन करने पहुंचे। केदारनाथ धाम में 16 लाख, 52 हजार, 76 तीर्थयात्री पहुंचें। गंगोत्री धाम के 8,15,273 जबकि यमुनोत्री धाम में 7,14,755 श्रद्धालुओं दर्शन किए।
पिछले साल चार धाम यात्रा कल 205 दिन चली थी। इस साल सिर्फ 153 दिन ही चल सकी थी। अगर प्रतिदिन के औसत की गणना करें तो इस बार रोज़ाना 31,372 तीर्थ यात्रियों ने चार धाम के दर्शन किए।
हिंदू मान्यता के अनुसार, शीतकाल के 6 माह उत्तराखंड के चार धामों में देवता पूजा करते हैं। जिस वजह से बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री चारों धाम के कपाट बंद हो जाते हैं। इस दौरान मां गंगा उत्तरकाशी जिले के मुखवा गांव और यमुना मां खरसाली में विराजमान होती है। बाबा केदार रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ और भगवान बद्री विशाल पांडुकेश्वर जोशीमठ चमोली में आ जाते हैं। जहां 6 माह शीतकाल में पूजा – अर्चना होती है।