अवैध कामों का दबाव डाला, मना किया तो पद से हटाया
आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट में पंजाब के पूर्व डीजीपी विरेश कुमार भावरा।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV9 भारत समाचार नई दिल्ली। पंजाब के पूर्व डीजीपी विरेश कुमार भाबरा ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की है। इस अर्जी में उन्होंने पंजाब के भगवंत मान सरकार पर आरोप लगाया है। कि उसने उनके ऊपर अवैध काम करने के लिए दबाव डाला था। भांवरा ने कहा कि मांन सरकार ने मुझे अवैध कामों को करने को कहा था। इसके अलावा सत्ता में आते ही भगवंत मान सरकार ने उनसे कहा था कि वह इस्तीफा दे दे। इसके अलावा महत्वपूर्ण लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने को भी कहा गया।
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भावरा ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की बेंच के समक्ष दाखिल अर्जी में यह आरोप लगाए। उन्होंने जस्टिस दीपक सिंबल और जस्टिस दीपक मनचंदा की बेंच के समक्ष अर्जी में कहा गया कि इस सरकार ने मार्च 2022 में सत्ता संभाली थी। उसके बाद से ही मेरे ऊपर दबाव था, कि पद छोड़ दूं। डीजीपी ने कहा कि इस सरकार ने आते ही उन्हें पद से हटा दिया। उसने ऐसा करते समय ट्रांसफर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय किए गए नियमों का भी उल्लंघन किया। अदालत में अब केस की अगली सुनवाई के लिए 4 जुलाई की तारीख तय की है। यह अर्जी वकील विक्रमजीत सिंह पटवालिया और सुखमणि पटवालिया के माध्यम से दाखिल की गई।
इस केस में मौजूद डीजीपी गौरव यादव को भी पार्टी बनाया गया है। भावरा ने कहा कि इस सरकार ने जैसे ही चार्ज लिया तो मेरे ऊपर दबाव बनाए जाने लगा। कि पद से इस्तीफा दे दूं। ऐसा दबाव महज इसलिए डाला जा रहा था। क्योंकि उनकी नियुक्ति पिछली सरकार ने की थी। उन्होंने कहा कि मेरी नियुक्ति एकदम अवैध थी। यूपीएससी की ओर से नियमों के आधार पर ही मुझे डीजीपी बनाया गया था।
लेकिन उस वक्त किसी नियम का पालन नहीं हुआ। जब मुझे जबरदस्ती पद से हटा दिया गया। बीजेपी ने इस दौरान यह भी दावा किया, कि पंजाब सरकार ने उनके ऊपर दबाव डाला था, कि राज्य के बाहर के भी कुछ लोगों को पंजाब पुलिस की ओर से सुरक्षा प्रदान की जाए। ऐसा करना गलत था। लेकिन दबाव डाला गया। भावरा ने कहा कि इस सरकार को पता चल गया था कि मैं उनके दबाव में नहीं आऊंगा। फिर इन लोगों ने जून 2022 से मुझे हटाने की कोशिशे शुरू कर दी थी। इसके बाद अपने पद से हटा दिया गया और बाद में राज्य सुरक्षा सलाहकार के पद पर नियुक्ति दी गई।
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