अजमेर मंदिर में अगर सच्चे मन से जला दिया दीपक, तो मिल जाएगी प्यारी सी दुल्हनिया।
अजमेर के प्राचीन मंदिरों में से एक खोबरा भैरवनाथ मंदिर भी है, अजमेर की स्थापना चौहान वंश के राजा अजय पाल ने की थी। खोबरा भैरवनाथ तब से मंदिर में विराजते हैं, यानी खोबरा भैरवनाथ का इतिहास अजमेर के स्थापत्य के समय से भी पहले का है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV 9 भारत समाचार जयपुर (राजस्थान)। अजमेर, दीपावली पर माता लक्ष्मी जी की पूजा – अर्चना कर लोग धन, स्मृति और खुशहाली की कामना करते हैं। वही धार्मिक पर्यटन नगरी अजमेर में एक धार्मिक स्थल ऐसा भी है, जहां दिवाली पर कुंवारे युवक – युवतियों का मेला लगता है। अजमेर के आनासागर झील से सती पहाड़ी पर स्थित मंदिर में विराजे खोबरा भैरव के दर पर कुंवारों को शादी का आशीर्वाद मिलता है, इसलिए भक्त कोबरा भैरवनाथ को ‘शादी देव’ के नाम से भी पुकारते हैं।
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अजमेर के प्राचीन मंदिरों में से एक खोबरा भैरवनाथ जी का मंदिर भी है, अजमेर की स्थापना चौहान वंश राजा अजयपाल ने की थी। बताया जाता है कि खोबरा भैरवनाथ जी तब से उसे मंदिर में बिराजते हैं। बताया जाता है कि चौहान वंश की आराध्य देवी चामुंडा माता मंदिर और खोबरा नाथ भैरव की पूजा – अर्चना चौहान वंश के राजा क्या करते थे। इसके बाद जीर्ण – शीण मंदिर की मरम्मत करवा कर पुनः मंदिर की स्थापना मराठा काल में हुई। हिंदू धर्म में विभिन्न जातियों के लिए खोबरा नाथ भैरव आराध्या देव हैं। वर्ष भर यहां विभिन्न जाति धर्म के लोगों का दर्शनों के लिए आना जाना लगा रहता है। लेकिन दीपावली के दिन कायस्थ समाज के लोग विशेष कर मंदिर में आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। दीपावली के दिन खोबरा भैरवनाथ का मेला भरता है। सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भीड़ लगनी शुरू हो जाती है। श्रद्धालु भैरवनाथ के दर्शन करने के बाद ही अपने घरों की पूजा-अर्चना कर खुशियां मनाते हैं।
7 दिन तक कुंवारे जलाते हैं मंदिर में दीपक –
कोबरा नाथ मंदिर के पुजारी पंडित ललित मोहन शर्मा ने बताया कि भैरवनाथ जी मंदिर में वर्षों से लोगों की गहरी आस्था रही है। पुजारी पंडित शर्मा बताते हैं कि दीपावली पर मंदिर में मेले का आयोजन भी किया जाता है। शुक्रवार को 11 से 4:00 तक मेले की व्यवस्था कायस्थ समाज की ओर से की जा रही है। बड़ी संख्या में कायस्थ समाज के लोग दीपावली के दिन दर्शनों के लिए मंदिर आते हैं। इनके अलावा अन्य समाजके लोगों कभी आना – जाना मंदिर में लगा रहता है।
श्रद्धालुओं की भीड़ में ज्यादा कुंवरों की संख्या-
श्रद्धालुओं के भीड़ में ज्यादा कुंवारों की संख्या अधिक रहती है। उन्होंने बताया कि मान्यता है कि खोबरा नाथ के दर पर 7 दिन तक शाम के समय दीपक जलाने से कुंवारों की जल्दी शादी हो जाती है। दीपावली से पहले कुंवारे मंदिर में दीपक जलाने आते हैं। दीपावली के दिन मंदिर में दीपक जलाने का अंतिम दिन होता है। ऐसे में कुंवारे युवक – युवती मंदिर में दीपक जलाकर खोबरा भैरवनाथ जी से शादी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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जिन कुंवारों की शादी हो जाती है ऐसे नए दंपति भी यहां मन्नत उतारने के लिए आते हैं। जो कुंवारे दूरी के कारण मंदिर नहीं आ पाते हैं। उनके परिजन रिश्तेदार बाबा खोबरा भैरवनाथ जी के मंदिर में अर्जी को मौली से बांध देते हैं। मंदिर के दर्शनों के लिए नव दंपत्ति को श्रद्धा अनुसार भोग लगाकर अपने मन्नत उतरने आना होता है।
बड़ी चट्टान में बनी गुफा में है गर्भ गृह –
पंडित ललित मोहन शर्मा बताते हैं कि राजस्थान के अन्य जिलों के अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात, मुंबई तक से श्रद्धालु मंदिर में दर्शनों के लिए आते हैं। वहीं कई एनआरआई भी मंदिर से शादी का आशीर्वाद पा चुके हैं। यहां पहाड़ी पर स्थित मंदिर में गर्भ गृह एक बड़ी सी चट्टान में बनी गुफा के अंदर है, ऊंची पहाड़ी पर स्थित मंदिर से आनासागर झील सुंदर दृश्य और अजमेर का नैसर्गिक सौंदर्य भी नजर आता है। लिहाजा देशी पर्यटक भी मंदिर में आते हैं। यहां का इतिहास जानकर अभिभूत हो जाते हैं।