प्रधानमंत्री के आगमन पर अंग क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का भव्य प्रदर्शन
भागलपुर में सती बिहुला की झांकी ने मोहा मन, केंद्रीय पूजा समिति ने रखी विशेष मांग
रिपोर्ट: अमित कुमार : भागलपुर: बिहार। प्रधानमंत्री के आगमन पर भागलपुर में श्री श्री 108 मनसा विष हरि महारानी केंद्रीय पूजा समिति ने अंग क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भव्य रूप से प्रस्तुत किया। इस अवसर पर बिहुला विषहरी की ऐतिहासिक झांकी निकाली गई, जिसने न केवल स्थानीय लोगों बल्कि अन्य जिलों से आए श्रद्धालुओं को भी मंत्रमुग्ध कर दिया। इस आयोजन में नारी सशक्तिकरण की प्रतीक सती बिहुला की गाथा को जीवंत किया गया। पूजा समिति ने प्रधानमंत्री को सती बिहुला के नाम पर ट्रेन शुरू करने, विक्रमशिला पुल का नामकरण ‘सती बिहुला पुल’ करने और मंजूषा कला को राष्ट्रीय पहचान दिलाने जैसी महत्वपूर्ण मांगें भी रखीं। भजन मंडली और भगतों की टोली ने पूरे जोश और श्रद्धा के साथ झांकी का नेतृत्व किया, जिससे माहौल भक्तिमय हो गया।
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अंग क्षेत्र की पहचान बनी सती बिहुला की झांकी
केंद्रीय पूजा समिति के पदाधिकारियों के नेतृत्व में भजन मंडली और भगतों की टोली ने भागलपुर हवाई अड्डे तक रैली निकाली। इस झांकी ने बिहार के पारंपरिक लोककथाओं की पहचान को मजबूती से प्रस्तुत किया। आयोजन के दौरान सती बिहुला की गाथा पर आधारित पत्रक भी वितरित किए गए, जिससे अन्य जिलों से आए लोग इस ऐतिहासिक लोककथा से परिचित हो सके।
भक्तिभाव में डूबे श्रद्धालु झांकी के दर्शन कर आशीर्वाद लेने उमड़ पड़े। भजन मंडली की प्रस्तुति ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। समिति के पदाधिकारियों ने इस आयोजन को नारी सशक्तिकरण का प्रतीक बताते हुए इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की मांग की।
प्रधानमंत्री को दिया विशेष संदेश, की यह प्रमुख मांग
विशेष झांकी में शामिल रहीं यह प्रमुख हस्तियां… देखें Video👇
इस आयोजन में केंद्रीय पूजा समिति के अध्यक्ष भोला कुमार मंडल, कार्यकारी अध्यक्ष प्रदीप कुमार, महामंत्री शशि शंकर राय, उपाध्यक्ष कैलाश यादव, संगठन महामंत्री शिवकुमार सिंह, संरक्षक शरद कुमार बाजपेई, नवीन कुमार चिंटू समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। भजन मंडली और भगतों की टोली का नेतृत्व समिति के मंत्री मनोज कुमार ने किया।
सांस्कृतिक धरोहर को राष्ट्रीय पहचान दिलाने की मांग
केंद्रीय पूजा समिति के अनुसार, सती बिहुला सिर्फ एक लोककथा नहीं, बल्कि नारी सशक्तिकरण, आस्था और परंपरा का प्रतीक है। ऐसे में इस ऐतिहासिक गाथा और मंजूषा कला को देशभर में प्रचारित करने की जरूरत है। समिति की मांग है कि सरकार इस पर विशेष ध्यान दे और इस सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करे।
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