कृषि में वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग करने से बढ़ सकती है किसानों की आय, बीज उत्पादन की वैज्ञानिक विधियों के भी दिए टिप्स
रामपुर बखरिया, मऊ में बीज ग्राम योजना का प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ आयोजित
अखिलेश द्विवेदी : लखनऊ। भारत में कृषि क्षेत्र में निरंतर विकास की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस दिशा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के दिशा-निर्देशों के तहत, मऊ जिले के रामपुर बखरिया गाँव में बीज ग्राम योजना के अंतर्गत एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को कृषि से जुड़ी नई और उन्नत तकनीकों से अवगत कराना और उन्हें अपने खेतों में बेहतर बीज उत्पादन के तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है।
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लैब टू लैंड कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित हो रहे किसान
राष्ट्रीय बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, कुशमौर, मऊ द्वारा चलाए जा रहे इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को “लैब टू लैंड” (Lab to Land) के तहत कृषि से जुड़ी वैज्ञानिक जानकारी देना है। इस प्रक्रिया के माध्यम से किसानों को सीधे वैज्ञानिकों से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि वे अपने खेतों में आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर सकें और अपनी आय में वृद्धि कर सकें।
डॉ संजय कुमार के नेतृत्व मे वैज्ञानिकों का योगदान
इस कार्यक्रम का नेतृत्व संस्थान के निदेशक डॉ संजय कुमार ने किया, जिनके मार्गदर्शन में वैज्ञानिकों का एक समूह तैयार किया गया। इस समूह में प्रमुख वैज्ञानिक डॉ अंजनी कुमार सिंह और वैज्ञानिक बनोथ विनेश शामिल हैं। इन वैज्ञानिकों ने किसानों के साथ संवाद किया और उन्हें बीज उत्पादन की विधियों, नयी फसल प्रजातियों के चयन, और क्लस्टर योजना के महत्व के बारे में बताया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम की यह रहीं मुख्य बातें
12 फरवरी 2025 को आयोजित इस कार्यक्रम में लगभग 150 किसानों ने भाग लिया। वैज्ञानिकों ने किसानों से आग्रह किया कि वे गाँव में क्लस्टर योजना या एफपीओ (FPO) का गठन करें, ताकि अधिक से अधिक बीज उत्पादन हो सके। इस दौरान, किसानों को यह जानकारी भी दी गई कि वे किस प्रकार नयी फसल प्रजातियाँ उगाकर अपने बीज उत्पादन को बढ़ा सकते हैं और इससे उनकी आय में बढ़ोतरी हो सकती है।
इस प्रशिक्षण के माध्यम से, वैज्ञानिकों ने यह सुनिश्चित किया कि किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों का सही तरीके से ज्ञान हो, ताकि वे अपने खेतों में इनका इस्तेमाल कर सकें और अपने आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकें।
गौर तलब हो कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल किसानों को नई जानकारी देते हैं, बल्कि उनके जीवनस्तर को बेहतर बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम हैं। “लैब टू लैंड” की प्रक्रिया को बढ़ावा देने से गाँवों में कृषि तकनीकों का सही उपयोग हो सकता है, जिससे किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं और भारतीय कृषि क्षेत्र को एक नई दिशा मिल सकती है।
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