विश्व पुस्तक मेला-2025: वेद मित्र शुक्ल कृत हिंदी ग़ज़ल संग्रह ‘दरिया की बातें पत्थर से’ का लोकार्पण
भारत मंडपम में स्थित सर्वभाषा ट्रस्ट के स्टॉल पर आयोजित हुआ कार्यक्रम
विश्व पुस्तक मेला-2025 :नई दिल्ली। नई दिल्ली में आयोजित विश्व पुस्तक मेला-2025 में एक विशेष आयोजन हुआ, जिसमें हिंदी ग़ज़ल संग्रह ‘दरिया की बातें पत्थर से’ का लोकार्पण किया गया। यह आयोजन भारत मंडपम में स्थित सर्वभाषा ट्रस्ट के स्टॉल पर आयोजित किया गया था। इस किताब के लेखक डॉ. वेद मित्र शुक्ल हैं, जो हिंदी साहित्य के एक प्रमुख नाम हैं।
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लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री रामदरश मिश्र जी ने की। उनके स्नेह और मार्गदर्शन में इस अवसर को और भी खास बनाया गया। इस मौके पर डॉ. वेद मित्र शुक्ल ने अपनी ग़ज़लों को पाठकों के सामने प्रस्तुत किया, जिससे वहां उपस्थित सभी साहित्य प्रेमी ग़ज़ल की गहराई और सौंदर्य से मंत्रमुग्ध हो गए।
पद्मश्री रामदरश मिश्र जी का आशीर्वाद इस आयोजन के लिए एक सम्मान की बात थी। उन्होंने लेखक और साहित्यिक समुदाय को अपनी शुभकामनाएं दीं और साहित्य की दुनिया में एक नया मार्ग प्रशस्त करने की कामना की।
इस कार्यक्रम में कई अन्य प्रमुख साहित्यकार भी शामिल हुए, जिनमें भारतेंदु मिश्र, ओम निश्चल, प्रो. वेद प्रकाश वत्स, प्रो. स्मिता मिश्र, हरिशंकर राढ़ी, केशव मोहन पांडेय, जयशंकर द्विवेदी, प्रो. हरेराम पाठक, मानस पत्रिका के संपादक आर्यपुत्र दीपक, रविशंकर सिंह, सुशांत सिंह, आकांक्षा, और विनय कुमार जैसे नाम प्रमुख थे। इन सभी साहित्यकारों ने अपनी उपस्थिति से इस कार्यक्रम को और भी गरिमा दी।
जानिए यह ग़ज़ल संग्रह क्यों है खास ?
‘दरिया की बातें पत्थर से’ एक विशेष ग़ज़ल संग्रह है जिसमें जीवन, प्रेम और अस्तित्व की गहरी समझ दिखाई गई है। डॉ. शुक्ल की ग़ज़लों में शब्दों की मृदुलता और भावनाओं की गहराई है, जो हर पाठक को अपनी ओर खींचती है। यह ग़ज़ल संग्रह न केवल साहित्य प्रेमियों के लिए, बल्कि उन सभी के लिए एक महत्वपूर्ण कृति है जो अपने जीवन की गहराई को समझना चाहते हैं।
इस कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि हिंदी साहित्य में ग़ज़ल का स्थान कितना महत्वपूर्ण है और यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को एक नई दिशा दे रहा है। ‘दरिया की बातें पत्थर से’ न केवल एक ग़ज़ल संग्रह है, बल्कि यह साहित्य की दुनिया में एक नया संदेश देने वाला काव्यात्मक अनुभव है।