उत्तरकाशी की सुरंग में 9 दिन से फंसे 41 मजदूरों की हालत खराब
सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है।
मुकेश कुमार (एडिटर इन चीफ) TV9 भारत समाचार उत्तरकांशी (उत्तराखंड)। उत्तरकाशी सुरंग हादसे में अभी भी 41 मजदूर फंसे हुए हैं मजदूरों को बचाने की हर रोज की उम्मीद समय बीतने के साथ आगे खिसकती जा रही है। आज नौ वां दिन है। जब इन मजदूरों के परिवार वाले इस आस में हैं। कि बचाव दल को सफलता मिलेगी।
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परिवारजन रात दिन प्रभु से यही प्रार्थना कर रहे हैं। कि किसी तरह प्रभु उनके घर के सदस्यों को इस सुरंग से स कुशल बाहर निकले। परिजनों की आंखें तरस रहे हैं परिजनों की आंखें सुरंग में फंसे अपने घर के सदस्यों को देखने के लिए तरस रही है। 12 नवंबर को उत्तराखंड की निर्माण अधीन सिल्क्यारा सुरंग ढह गयी थी।
सुरंग मे फंसे लोगों को बचाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है।लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।मजदूरो के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता बढ़ती जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तरकाशी के टनल में 9 दिनों से 41 मजदूर फंसे हुए हैं उन्हें अभी तक बाहर निकलने में हम असफल हैं।
वैसे टनल बनाने वाली कंपनी पर लापरवाही बरतने का आरोप भी लगा है। बताया जा रहा है की पूरी तरह से इन 41 मजदूरों के फंसने का कारण टनल कंपनी है। जिसकी लापरवाही के चलते यह 41 मजदूर सुरंग के अंदर फंसे हैं। योजना अनुसार सुरंग का कार्य नहीं किया जा रहा था। जिस कारण यह हादसा हुआ।
टनल हाथ से को 9 दिन पूरे हो चुके हैं। जिस कारण सुरंग में फंसे सभी व्यक्ति शारीरिक तौर पर काफी कमजोर हो गए हैं और डिप्रेशन में हैं रुक-रुक कर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है बचाव करने में आधुनिक मशीन से ड्रिलिंग कर रहे हैं। लेकिन कंपन से उपर से मलबा गिर रहा है।इस बीच एक बड़ा अपडेट सामने आया है।
सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को डिप्रेशन से बचने के लिए एंटी डिप्रेशन दवा भेजी जा रही है। इसके अलावा सूखे मेवे और मल्टीविटामिन दवा भी भेजी जा रही है। हमें उम्मीद है, कि सरकार और इंजीनियरों की टीम 41 मजदूरों को सफलतापूर्वक बाहर निकलने में सफल होंगे।
लेकिन दुख इस बात का है की टनल में फंसे 41 मजदूरों के विषय पर देश में कहीं कोई चर्चा नहीं है।क्योंकि मीडिया क्रिकेट की चर्चा करने में व्यस्त है। सभी न्यूज़ चैनल क्रिकेट वर्ल्ड कप की खबरें दिखाने में व्यस्त हैं। इस सुरंग की घटना पर किसी भी न्यूज़ एजेंसी या मीडिया कर्मी का ध्यान नहीं जा रहा है।
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