पावन प्यार अगर महकेगा तो चन्दन हो जायेगा
शीतला माता मंदिर परिसर में साहित्यकार सन्दीप मिश्र "सरस" के संयोजन में विराट अखिल भारतीय राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन
सीतापुर। श्री गणेश महोत्सव सेवा समिति बिसवां द्वारा 19 वें गणेश महोत्सव के अंतर्गत नगर के पवित्रतम आस्था के केंद्र शीतला माता मंदिर परिसर में साहित्यकार सन्दीप मिश्र “सरस” के संयोजन में विराट अखिल भारतीय राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। पूरी रात सरस कविताओं में श्रोता गोता लगाते रहे।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता वीर रस की राष्ट्रीय कवि रजनीश मिश्र ने की और युवा कवि लवकुश शुक्ल ने संचालन की बागडोर संभाली। मां वागीश्वरी की शोभित अभ्यर्थना के पश्चात लोकप्रिय कवि जगजीवन मिश्र ने कहा- वो रह भी तो सके अपनी मियाद पर। अब तो विचार होगा सिंधु के निनाद पर। वो चांद को झंडे में ही निहारते रहे, भारत का मेरे आज है झंडा ही चांद पर।
ओज के क्रांतिकारी कवि रजनीश मिश्र ने अपनी कविताओं से पूरे माहौल को देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत कर दिया- दमकती भाल पर बिन्दी छटा अनुपम है आली है। खनकती चूडियां हाथो की महिमा भी निराली है। कभी प्रेयसि कभी वात्सल्य की प्रतिमूर्ति लगती है, कभी झांसी की रानी है कभी दुर्गा है काली है।
संवेदना की सुकुमार सुप्रसिद्ध कवयित्री गीतकार व्यंजना शुक्ला ने कहा- पावन प्यार अगर महकेगा तो चन्दन हो जायेगा। नारी राधा बन जाये नर मनमोहन हो जायेगा। तन को चाहे जितना रंग लो कोई फर्क नहीं होगा, मन को जिस दिन रंग लोगे ये वृन्दावन हो जायेगा।।
कार्यक्रम संयोजक साहित्यकार संदीप मिश्र “सरस” ने “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” अभियान की प्रासंगिकता को रेखांकित किया :- बंदिशें होंगी ज़ियादा, बेड़ियाँ दम तोड देंगी। दर्द हद से बढ़ गया तो चुप्पियाँ दम तोड देंगी।
पंख सौंपे हैं उन्हें, तो क्यों उड़ानें रोकिएगा, ख़्वाब खण्डित हो गए तो लड़कियाँ दम तोड़ देंगी।
हास्य के हाहाहूती हस्ताक्षर लवकुश शुक्ल ने श्रोताओं को कुर्सियों से उछलने पर मजबूर कर दिया- ससुर की भाषा बजट सत्र का क्रंदन लगती है। सास मीडिया का झूठा अभिनंदन लगती है। “आधी घरवाली साली” जैसे आश्वासन हैं, हमको तो ससुराल महा गठबंधन लगती है।
हास्य व्यंग्य के सुनील झंझटी ने अपनी चुटीली काव्य प्रस्तुति से हाहाकार मचा दिया- तुम पुण्य बन गई हो हम न पाप बन सके। तुम मंत्र बन गई हो हम न जाप बन सके।
गैया से बैल ने कहा किस्मत तो देखिए , तुम अम्मा सारे जग की हम न बाप बन सके।।
ओज के युवा कवि अर्पित मिश्र “तेजस” ने कहा- जो है दधीचि की तपस्थली ऋषि मुनियों का महि संगम है। है प्रथक बड़ी हनुमान गढ़ी हर छटा जहां की अनुपम है। उर्वरा यहां की भूमि सुनो हम इक सागर से बहते हैं। निज मन में धारे मान कि हम सब सीतापुर में रहते हैं।
समिति द्वारा अभ्यागत कवियों, उपस्थित पत्रकारों, और यूट्यूब चैनल शिक्षाभारत के संस्थापक सुनील गुप्त को स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया।
रात्रि डेढ़ बजे तक चले कार्यक्रम में वृंदारकनाथ मिश्र, गंगा स्वरूप मिश्रा, राकेश शुक्ला, विजय रस्तोगी, आशीष गुप्त, मकसूद अली, राजेंद्र तिवारी, केके मिश्रा, पवन मिश्र, प्रभाकर शुक्ल, रामजी गुप्त, समीर गुप्त, अभय कुमार, फुरकान अली आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
श्री गणेश महोत्सव सेवा समिति के समस्त पदाधिकारियों ने कार्यक्रम में पधारे साहित्यानुरागियों, पत्रकारों, अतिथियों और हजारों श्रोताओं का आभार व्यक्त किया और कार्यक्रम को अगले वर्ष तक स्थगित करने की घोषणा की।
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