सीआरपीएफ जवान का शव तिरंगे में लिपटा पहुंचा गांव, मासूम बेटे ने दी मुखाग्नि
हजारों की भीड़ अपने माटी के लाल के दर्शन को उमड पड़ी। हर कोई अपने लाल की एक झलक पाने को बेचैन था
बलिया। तिरंगे में लिपटे शहीद जवान का पार्थिव शरीर पहुंचते ही घर-परिवार में जहां कोहराम मच गया, वहीं हजारों की भीड़ अपने माटी के लाल के दर्शन को उमड पड़ी। हर कोई अपने लाल की एक झलक पाने को बेचैन था। सुनील पांडेय अमर रहे, अमर रहे… की गूंज के बीच लोगों के चेहरे पर हत्यारों के खिलाफ गुस्सा साफ दिख रहा था। हजारों की संख्या में तिरंगे के साथ शहीद जवान की शव यात्रा निकाली, जो गंगा नदी के हुकुमछपरा घाट पर पहुंची। वहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ जवान का अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि 12 वर्षीय पुत्र सत्यम ने दी। इससे पहले सीआरपीएफ जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हवा में तीन चक्र फायरिंग कर अपने साथी को अंतिम विदाई दी।
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रेवती थाना क्षेत्र के रामपुर दिघार निवासी सुनील कुमार पांडेय (38) पुत्र रामनाथ पांडेय सीआरपीएफ में थे। उनकी तैनाती अरूणाचल प्रदेश में थी। कुछ दिन पहले ही छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर लौटे सुनील अन्य जवानों के साथ सादे वेश में असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा चेक गेट पर बुधवार को ड्यूटी पर थे। बताया जा रहा है कि इसी बीच बाइक से पहुंचे दो संदिग्धों को जवानों ने पकड़ने की कोशिश की, तभी संदिग्धों ने सुनील पर चाकू से हमला कर दिया। घटना के बाद बाइक सवार बादमाश फरार हो गए।
गुरुवार को ताबूत में रखा शव लेकर दर्जनों जवानों के साथ सीआरपीएफ के आइजी वाराणसी सतपाल रावत, एसपी सुरेंद्र चौधरी, कमांडेंट अनील वृक्ष, सीओ अभिषेक कुमार व इंस्पेक्टर विष्णु कान्त दूबे शहीद जवान सुनील कुमार पांडेय के पैतृक गांव रामपुर पहुंचे, जहां हजारों की भीड़ अपने लाल के दर्शन को उमड़ पड़ी। यहां सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के साथ ही जिलाधिकारी रविंद्र कुमार, पुलिस अधीक्षक एस आनंद, सीओ बैरिया उस्मान कुमार, पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह के साथ ही साथ ही दर्जनों लोगों ने शहीद के पार्थिव पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर नमन किया।
शव पहुंचते ही बेसुध हुई पत्नी
ताबूत में रखा जवान का शव घर पहुंचते ही पत्नी अर्चना बेसुध हो गई। पति के शव से लिपटकर जहां अर्चना बेसुध हो जा रही थी, वहीं दूसरी तरफ 12 वर्षीय बेटा सत्यम तथा सात वर्षीय बेटा अनमोल पिता के शव को देख बिलख रहे थे। नादान बेटे कभी मां और बाबा-मइया को देख रहे थे तो कभी ताबूत में सोये पापा को। बुजुर्ग पिता रामनाथ पाण्डेय की आंखें शून्य को देख रही थी। बड़ा भाई अनिल का रोते-रोते बुरा हाल था। माता विद्यावती देवी भी विलख रहीं थीं।
घर का एक मात्र कमाऊ सदस्य थे सुनील
सीआरपीएफ में तैनात सुनील घर के एकमात्र कमाऊ सदस्य थे। पिता रामनाथ पाण्डेय और बड़े भाई अनिल पाण्डेय गांव पर खेती करते हैं। 12 वर्षीय बड़ा लड़का सत्यम कक्षा सात और छोटा लड़का सात वर्षीय अनमोल कक्षा तीन में जिला मुख्यालय स्थित सेंट जेवियर्स स्कूल में पढ़ते हैं। सुनील के पिता रामनाथ, भाई अनिल, माता और दोनों बेटों का रोते-रोते बुरा हाल है। पत्नी अर्चना की स्थिति यह है कि पति के गम में वह बेहोश हो जा रही है।
2007 में सीआरपीएफ में हुए थे भर्ती
सुनील पांडेय के मन में शुरूआती दिनों से ही देश सेवा की भावना थी। नतीजतन 20 सितंबर 2007 को वे इलाहाबाद ग्रुप सेंटर से सीआरपीएफ में भर्ती हो गये। 117 बटालियन, 197 बटालियन में कार्य करते हुए 28 फरवरी 2020 से सुनील 186 बटालियन में सेवा दे रहे थे। उनकी तैनाती सीआरपीएफ के इंटेलिजेंस विभाग में थी।
बेकार नहीं जायेगी सुनील की शहादत
सीआरपीएफ के आईजी यशपाल रावत ने शहीद सुनील की पत्नी अर्चना व पिता रामनाथ पांडे को ढाढस बंधाते हुए कहा कि सुनील की शहादत बेकार नहीं जाएगी। सुनील की हत्या करने वाले सलाखों के पीछे होंगे। विभाग की तरफ से मिलने वाली हर सुविधा आपको उपलब्ध कराई जाएगी। बेटे बालिग होने पर विभाग के नियमानुसार प्राथमिकता के आधार पर उन्हें नौकरी भी दी जाएगी। सीआरपीएफ के आईजी ने विभाग के तरफ से मिलने वाली सहायता राशि व तिरंगे को वृद्घ पिता के हाथों में सौंपा।
शहीद के नाम बनेगी सड़क
ग्रामीणों की मांग पर जिलाधिकारी रविंद्र कुमार व सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने शहीद के नाम पर सड़क व गेट बनवाने का आश्वासन दिया। साथ ही जिलाधिकारी ने कहा कि शासन की मंशा के अनुरूप मिलने वाली हर सहायता राशि उपलब्ध कराने में हर संभव मदद की जाएगी।
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