मां अष्टभुजी मंदिर व पौराणिक कुंड जीर्णोद्धार में जमकर भ्रष्टाचार, 87 लाख रुपए से होना था जीर्णोद्धार
शिकायत के लिए फोन करने पर बदतमीजी से बात करते है नगर निगम के अफसर-रोहित दास
अयोध्या। अयोध्या में चल रहे विकास कार्यो में मचे भ्रष्टाचार के खेल का कैग के खुलासे के बाद अब नई नई कड़ियां जुड़ने लगी है। जिसके चलते अयोध्या के विभिन्न विकास कार्यों में अफसरों और ठेकेदारों द्वारा की जा रही बेखौफ लूट का खेल अब प्याज के छिलकों की मानिंद परत दर परत खुलने लगा है। ताजा मामला अयोध्या राम जन्मभूमि से पांच किलोमीटर दूर कुसमाहा गांव के मां अष्टभुजी मंदिर और मां दुर्गा का पौराणिक कुंड के जीर्णोद्धार में हुए भ्रस्टाचार का सामने आया है। जिसका नगर निगम और पर्यटन विभाग की तरफ से सुंदरीकरण कराया है। मंदिर के महंत रोहितदास ने विकास कार्यों पर सवाल उठाते हुए बड़े भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
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उनका आरोप है कि यहां अधिकारियों ने विकास के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया है। नगर निगम ने रेलिंग, टाइल्स समेत अन्य कार्य कराया है। जो कार्य हुआ है वह बहुत ही घटिया किस्म का किया गया है। रोहितदास कहते हैं कि कोई भी यहां आकर देख सकता है कि यहां कितने का कार्य हुआ है। उनका कहना है कि मंदिर के कुंड से जलकुंभी निकालकर उसे भी ठीक कराने को भी कहा था। अब जब जेई, एई से लेकर अपर नगर आयुक्त तक फोन नहीं उठाते। कभी कभार यदि मोबाइल अथवा फोन रिसीव भी करते हैं है तो अभद्रता से पेश आते हैं।
नगर निगम के कुसमाहा गांव में मां अष्टभुजी मंदिर और पौराणिक कुंड है। इसका साक्ष्य मंदिर के बाहर अंग्रेजों द्वारा लगाया गया शिलापट है। कुंड और मंदिर का 87 लाख रुपये से दो कार्यदायी संस्थाओं ने मिलकर तीन वर्ष में दो बार में यहां कार्य किया। नगर निगम से एक वर्ष पहले पर्यटन विभाग से 47 लाख रुपये यूपीपीसीएल को मिले थे। जिसका बोर्ड प्रवेशद्वार पर लगा लगा है। हालांकि एक वर्ष में ही बोर्ड पर क्या लिखा है सब मिट चुका है।
यूपीपीसीएल ने बाउंड्रीवाल, इंटरलाकिंग, छत की मरम्मत, सोलर लाइट आदि कार्य उसके अनुरूप कराया है। लेकिन मंदिर पर हकीकत कुछ और ही मिला। मंदिर में प्रकाश के लिए लगा सोलर लाइट खराब हो चुका है। उसे बनाने के लिए अधिकारी एक माह पहले ले गए, लेकिन अभी तक वापस नहीं लाए। वहीं मंदिर में स्थित पौराणिक कुआं की सफाई महंत के लाख कहने के बाद भी नहीं हुई। कुआं के अंदर भारी गंदगी है।
अयोध्या विजन के प्रोजेक्ट में कुंड के चारों तरफ में इंटरलॉकिंग पाथ वे, लाइट, सीढ़ियां, वाटर हार्वेस्टिंग व पौधरोपण व उसके पांच वर्ष के रखरखाव का उल्लेख है। महंत के आरोपों और वास्तविक सत्य जानने के लिए जब हम ग्राउंड पर पहुंचे। आरोप यह भी है कि नगर निगम क्षेत्र होने के बावजूद स्वच्छता व्यवस्था नदारद है, समरसेबल नगर निगम द्वारा लगवाया तो जरूर गया है लेकिन उसकी क्वालिटी अत्यंत बेकार है।
मंदिर के प्रवेश द्वारा से अंदर होते ही हमारा सामना पास लगे झाड़ियों से हुआ। जिसकी सफाई कई माह से नहीं हुआ, जबकि यह नगर नगर का वार्ड नंबर तीन है। महंत अंदर कुंड के पास ले गए, कुंड जलकुंभी से पटी मिली। हार्वेस्टिंग व पौधरोपण के निशान तक नहीं मिले। इसके अलावा कुंड का पानी इतना दूषित मिला की आचमन तक नहीं किया जा सकता।
महंत ने इस दौरान बताया कि अधिकारियों और ठेकेदारों ने कुंड के किनारे से मिट्टियां निकाल लिया। जिससे अब कुंड के ऊपर से चलने लायक रास्ता नहीं बचा। एई राजपति यादव से बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने 15 अगस्त छुट्टी का हवाला देते हुए बात नहीं किया। अधिशासी अभियंता मोद नारायण झा ने कहा, अष्टभुजी मंदिर का अभी और विकास होना है। डीपीआर उसका तैयार किया जा रहा है। लेकिन यहां हुए पुराने कामों को लेकर कुछ भी बताने से आनाकानी करते नजर आए।
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