डॉक्टर कमरे में आराम करते रहे और हार्ट अटैक के मरीज ने तड़पकर तोड़ दिया दम
अस्पताल पहुंचने पर भी 10 मिनट तक स्ट्रेचर पर पड़ा रहा मरीज किनारे नहीं आए डॉक्टर
हरीश रस्तोगी, बहराइच। माल गोदाम रोड पर काम करने वाले मैकेनिक को शुक्रवार दोपहर में अचानक दिल का दौरा पड़ा, परिजन आनन-फानन में लेकर जिला अस्पताल पहुंचे लेकिन डॉक्टर इमरजेंसी से नदारद मिले। पता चला कि डॉक्टर साहब आराम कर रहे हैं, हार्ट अटैक का मरीज स्ट्रेचर पर ही पड़ा रहा कोई किनारे नहीं आया। परिवारीजनों के काफी मिन्नत के चलते 10 मिनट बाद डॉक्टर अपने रेस्ट रूम से बाहर निकले। लेकिन जब वह मरीज तक पहुंचे तब तक काफी देर हो चुकी थी। हार्ट अटैक रोगी तड़प कर दम तोड़ चुका था। चिकित्सक ने भी उसे मृत घोषित कर दिया। परिजन रोते विलखते शव लेकर घर लौट आए।
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मेडिकल कॉलेज से संबद्ध महर्षि बालार्क जिला चिकित्सालय में डॉक्टर की संवेदनहीनता एक हार्टअटैक के रोगी की जिंदगी पर भारी पड़ गई। हुआ यूँ कि शहर के छावनी बाजार निवासी बाबू मिस्त्री गाड़ी बनाने का काम करते थे। उनकी दुकान माल गोदाम रोड पर टैक्सी स्टैंड के निकट स्थित है। प्रतिदिन की तरह सुबह 10:00 बजे के आसपास 52 वर्षीय बाबू मिस्त्री साइकिल से दुकान पर पहुंचे और काम में लग गए। लगभग एक घंटे बाद अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई, और वह सीने में दर्द के चलते बेहोशी की हालत में पहुंच गए।
आनन-फानन में दुकान पर मौजूद कर्मचारी और पारिवारिक सदस्य बाबू मिस्त्री को तत्काल रिक्शा पर बिठाकर मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल ले गए। जिला अस्पताल पहुंचकर बाबू मिस्त्री को स्ट्रेचर पर लिटाया गया। परिजन इमरजेंसी में लेकर पहुंचे तो वहां पर फार्मासिस्ट मौजूद मिला। पूछने पर पता चला कि डॉक्टर साहब आराम कर रहे हैं थोड़ी देर बाद निकलेंगे। परिजनों ने हार्ट अटैक का केस होने की बात कही तो परिजनों से इंतजार करने को कहा गया।
इस दौरान असहनीय दर्द के चलते बाबू मिस्त्री स्ट्रेचर पर ही तड़पता रहा। लगभग 10 मिनट बीत गए और डॉक्टर नहीं आए तो परिजनों ने रेस्ट रूम का दरवाजा खटखटाया। बड़ी मुश्किल से दरवाजा खुला। लेकिन तब तक फार्मासिस्ट बगल से दूसरे डॉक्टर को बुलाकर आ गया। डॉक्टर मनोज चौधरी ने स्ट्रेचर पर पहुंच कर बाबू मिस्त्री का चेकअप करने के बाद मृत घोषित कर दिया।
डॉक्टर से मौत का सुनकर बाबू मिस्त्री के परिवरीजन विलख उठे, पारिवारिक जनों का कहना है कि समय से लेकर वह मरीज को अस्पताल पहुंच गए थे लेकिन डॉक्टर अपने कमरे में आराम करते रहे और ध्यान नहीं दिया जिसके चलते उनकी मौत हुई है।
हार्ट अटैक के मरीजों के साथ बरती जाती कोताही तो सामान्य मरीजों का क्या होगा हाल
इस घटना से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी हो चुकी है, हार्ट अटैक के मरीज के इलाज में जब इस तरह की लापरवाही बरती जा रही है, तो सामान्य मरीजों का क्या हाल होगा अंदाजा सहज ही लगा सकते हैं।
परिवारी जन गिड़गिड़ाते रहे लेकिन नहीं किया भर्ती
बाबू मिस्त्री के परिवार के सदस्यों का कहना है कि वजह मरीज को लेकर स्ट्रेचर पर इमरजेंसी में पहुंचे तो मरीज तड़प रहा था, परिजनों का कहना है कि वह गिड़गिड़ाते रहे लेकिन मरीज को भर्ती नहीं किया गया। परिजनों ने बताया कि जब मरीज की हरकत धीरे-धीरे साथ शांत होने लगी तब फार्मासिस्ट दूसरे डॉक्टर को बगल से बुलाने के लिए गया। परिजनों का कहना है कि अगर समय से इलाज मिल जाता तो जान बच जाती।
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