एसएसपी प्रभाकर चौधरी का ट्रांसफर ईनाम या सजा, हर शख्स हैरान

बरेली को जलने से बचाया तो रातों-रात पीएसी में कर दिया गया ट्रांसफर

बरेली। एसएसपी प्रभाकर चौधरी का ट्रांसफर 32वीं वाहिनी पीएसी लखनऊ होनें शहर में हर शख्स हैरान और परेशान हैं, सबके होठों पर बस एक ही सवाल है कि एसएसपी प्रभाकर चौधरी को यह इनाम मिला है या उन्हें सजा दी गई है। आखिर एसएसपी प्रभाकर चौधरी किसके निशाने पर थे। शहर में बिगड़ी व्यवस्था में सुधारनें का क्या उनको ईनाम दिया गया या फिर यूं कहा जाए बरेली में कांवड़ियों पर हुआ लाठीचार्ज उन्‍हें महंगा पड़ गया।
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प्रभाकर चौधरी 2010 बैच के आईपीएस अफसर हैं। अपने बिंदास अंदाज के लिए जाने जाते हैं, गलत काम में न तो नेता की सुनते हैं न किसी अधिकारी की। वह उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले के निवासी हैं। प्रभाकर चौधरी ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीएससी के बाद एलएलबी की पढ़ाई की। प्रभाकर चौधरी फर्स्‍ट अटेम्प्ट में ही सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कर आईपीएस बन गए थे।

2010 बैच के आईपीएस अफसर प्रभाकर चौधरी को बरेली की कमान 14 मार्च में सौंपी गई। कानपुर, बलिया, बुलंदशहर में एसपी के पद पर तैनात रह चुके हैं। प्रभाकर चौधरी बरेली से पहले वाराणसी, मुरादाबाद और मेरठ के एसएसपी रह चुके हैं। प्रभाकर चौधरी की गिनती तेजतर्रार अफसरों में की जाती है। शहर के बिगड़ते माहौल में शांति व्यवस्था कायम करना प्रभाकर चौधरी को शायद भारी पड़ गया।

कांवरिया के रूप में उपद्रव कर रहे लोग मस्जिद के सामने एक विशेष गीत बजाना चाह रहे थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें अनुमति नहीं दी तो सभी भड़क गए। पुलिस के मुताबिक उपद्रव कर रहे लोगों में कुछ शराब के नशे में थे वहीं कई लोगों के पास से हथियार भी बरामद हुए। जैसे तैसे एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने हालात काबू में कर लिया। लेकिन शायद कांवरियों पर लाठीचार्ज भारी पड़ गया। क्योंकि इस घटना के चार घंटे बाद एसएससी प्रभाकर चौधरी का ट्रांसफर होना सीधे तौर पर उनके तबादले को कांवड़ियों पर हुई पत्थरबाजी से जोड़ा गया।
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