तिरहुत स्टेट में छिड़ी दो राजाओं के बीच वरासत की जंग, कोर्ट पहुंचा मामला

दोनों पक्ष दिखा रहे वरासत के कागजात, प्रॉपर्टी पर जता रहे अपना हक

सुल्तानपुर। जिला मुख्यालय से 24 किमी दूर हलियापुर के पास ‘तिरहुत स्टेट’ है। यहां दो राजाओं में वरासत को लेकर जंग छिड़ी है। दोनों वरासत के कागजात दिखाकर दावा कर रहे हैं, कि प्रॉपर्टी के मालिक हम हैं। ऐसे में असली राजा कौन है और वरासत किसे मिलना चाहिए इसका मामला कोर्ट में पहुंच गया है।

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हलियापुर के ‘तिरहुत स्टेट’ की हवेली में राय भानु सिंह का परिवार निवास कर रहा। भानु सिंह बताते कि जगदंबा बख्श सिंह की प्रॉपटी का झगड़ा चल रहा है। उन्होंने हमारे चाचा सुमन सिंह को अपने जीवन काल में गोद लिया था। 1971 में उन्होंने हमारे पिता स्व. ओमप्रकाश सिंह व उनके भाई अनिल सिंह के नाम पर एक वसीयत किया था। उसी वसीयत के आधार पर हम लोग तब से जमीन पर काबिज रहकर जोताई-बोवाई कर रहे हैं। चकबंदी के अभिलेखो में कागजात में भी हमारा नाम सरकार के तरफ से ही वसीयत के आधार पर दर्ज किया गया है।

मुकेश सिंह जो हमारे ऊपर आरोप लगा रहे हैं भू-माफिया और दबंगई का उस पर मेरा कहना ये है कि सक्षम न्यायालय द्वारा आजतक मुझे कब्जा हटाने के लिए आदेश नही हुआ है। वरासत का वाद नायब तहसीलदार के यहां चल रहा है। मुकेश सिंह ने 145 के तहत मुकदमा किया था, जिसे एसडीएम बल्दीराय महेंद्र श्रीवास्तव ने निरस्त कर दिया है। पुलिस रिपोर्ट के आधार पर जो हमारा कब्जा माना गया है उसी पर हम बरकार हैं। उनको जो भी कष्ट है न्यायालय में आकर साक्ष्य दें, हम भी साक्ष्य देंगे।

भानु सिंह बताते हैं कि देवरती कुंवर जो वो रजिस्टर्ड वसीयत बताते हैं उसका जो भी हिस्सा है उन्हें मिल चुका है। उसमें से अधिकांश भाग विक्रय भी कर चुके हैं। उधर मुकेश सिंह की दावेदारी है कि हम जगदंबा बक्श सिंह के असली वारिस हैं। हमारे पास एक रजिस्टर्ड वसीयत लिखी रखी है मैं असली खानदान से हूं। ये लोग जबरदस्ती कर रहे हैं इनके पास कुछ है ही नहीं, अनरजिस्टर्ड एक फर्जी कागज लगाकर सिर्फ फर्जी दावा कर रहे हैं जिसमें ना कोई गवाह है न कोई लिखने वाला है। उसे लगाकर फर्जी मुकदमा करके हमारी जमीन हड़पना चाहते हैं।

दो सौ बीघे प्रॉपटी से जुड़ा है मामला

राय भानु सिंह का परिवार वर्ष 1971 से जिस जमीन पर काबिज है उसका रकबा लगभग 200 बीघा है। इसी 200 बीघे का मामला कोर्ट में चल रहा है। जबकि जमीन पर राय भानु सिंह का परिवार काबिज है। ऐसे में सवाल अहम यह भी है कि मामला दशकों पुराना है ऐसे इसके पूर्व आपत्ति क्यों नहीं की गई। फिलहाल मामला कोर्ट में है और कोर्ट से ही फैसला भी होगा।
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