‘… मुझको तेरे ख्याल ने सोने नहीं दिया ‘
हिंदी और उर्दू ज़ुबान में परवाज़ चढ़ती चली गई अदब की महफ़िल, उर्दू अदब के मुख़्तारनामे के दस्तखत कौसर नोमानी किए गए याद
हरदोई। ‘मुख्तार को खुदा ने जो कौसर बना दिया, यानी अदब की राह का रहबर बना दिया…’एक शाम कौसर के नाम,से सजाई गई उर्दू अदब की महफ़िल में शामिल हुए कलमकारों ने अपने-अपने कलाम से उर्दू अदब को अलग पहचान दिलाने वाले मुख्तार कौसर नोमानी को याद किया गया। उर्दू के कलमकार श्याम सुंदर मिश्रा,श्रवण कुमार मिश्र राही और शिव शंकर लाल गौहर ने अपने-अपने कलामों से महफ़िल को कामयाबी की बुलंदी तक पहुंचाया।
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महफ़िल की शुरुआत सदारत कर रहे इरशाद कानपुरी ने नात-ए-पाक से की। रिज़वान कमर ने कौसर नोमानी की ग़ज़लों को सामने रखा। उन्होंने कहा इल्ज़ाम लगाना तो कोई आप से सीखे, थोड़ी सी सफाई में मुझको भी सुनो तुम’ शिवशंकर लाल गौहर ने अपने इस कलाम ने हंसी के गुब्बारे छुड़ाए, कहा कि ‘…गली में तेरी चक्कर काटने का, कोई वाजिब बहाना चाहता हूं’। असगर बिलग्रामी की ग़ज़लों को खूब पसंद किया गया। उन्होंने कहा रफ्ता-रफ्ता वो फिर याद आने लगे हैं, भूल जाने में जिनको ज़माने लगे हैं’
आगे कहा ‘बात कुछ भी न थी सिर्फ सच कह दिया, हम से अपने ही दामन छुड़ाने लगे हैं’ लखनऊ से आए मेहमान शायर सुल्तान रहमानी ने कहा ‘रोया हूं तेरी याद में दिन-रात मुसलसल, होती नहीं ऐसी कभी बरसात मुसलसल’। इसी कड़ी में श्याम सुंदर मिश्रा के कलाम को खूब वाहवाही मिली। उन्होंने कहा कि ‘दो दिलों के बीच कभी फासला न होता, बस उन्हें मेरी वफा पर अगर ऐतबार होता’ कमरुद्दीन कमर ने कहा ‘ तुम्ही ने शीशा-ए-दिल सजाया था, तुम्ही ने तोड़ दिया तो कोई बात नहीं’।
सईद अख्तर ने अपना कलाम से मां के बारे में कुछ यूं सुनाया, ‘मां के कदमों में होती जन्नत है, सबको ढूंढे कहां ये मिलती है’ उर्दू के बेहतरीन कलमकार श्रवण कुमार मिश्र राही ने इस दौर की सच्चाइयों को कुछ इस तरह सामने किया ‘खुद गर्ज़ियो के दौर में उल्फत नहीं रही, मां-बहन दोस्तों में वो चाहत नहीं रही’ आगे कहा कि ‘इक शख्स की नहीं ये ज़माने की बात है, अपनों के बीच अब तो मोहब्बत नहीं रही।
लखनऊ से आए आज़ाद ख्यालात के शायर कमर अदीब की नज़्म काफी पसंद की गई। इसके अलावा कई और शायरों ने अपना-अपना कलाम सुनाया। निज़ामत आलम रब्बानी ने की। आखिर में महफ़िल के कन्वीनर फ़ैज़ बिन कौसर ने मोमेंट्स देते हुए सभी का शुक्रिया अदा किया।
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