500 वर्ष पुराने वटवृक्ष को प्रदेश की विरासत वृक्ष डायरी में किया गया शामिल
वर्तमान में करीब 5 बीघा जमीन मे इस वट वृक्ष की जड़े, शाखाऐं फैली हुई है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) TV9 भारत समाचार बिजनौर (उत्तर प्रदेश)। जिला बिजनौर के चांदपुर रेंज में ग्राम धीमरपुरा में खड़े 500 वर्ष पुराने वट वृक्ष को प्रदेश की विरासत डायरी में स्थान मिला है। इस डायरी में यूं तो प्रदेश के 115 विरासत वृक्षों को जगह दी गई है। जिले वृक्ष के इसमें शामिल होने से वन विभाग भी उत्साहित है। वर्तमान में करीब 5 बीघा जमीन में इस वृक्ष की जड़े एवं शाखाएं फैली हुई है। पिछले काफी समय से विरासत वर्षों की तलाश की जा रही थी।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि जिला बिजनौर में चांदपुर क्षेत्र के ग्राम धीमरपुरा में वट वृक्ष खड़ा है। इसकी शाखाएं वर्तमान में करीब पांच बीघा जमीन में फैली हुई है। बाहर से काफी लोग इसे देखने भी पहुंचते हैं। माना जाता है कि दो दशक पहले तक यह वृक्ष 10 बीघा से ज्यादा जमीन में फैला हुआ था। समय के साथ-साथ यह सिमटता गया और कुछ लोगों ने वहां खेती भी शुरू कर दी। आज भी इस वृक्ष की शाखाएं दूर-दूर तक फैली हैं और जमीन से मिलकर खुद भी वृक्ष बन चुकी हैं।
यह वृक्ष चांदपुर क्षेत्र के ग्राम धीमरपुरा में भूरेशाह पीर की मजार के पीछे है। मान्यता यहां तक है की मजार पर झाड़ू चढ़ाने से मस्से की बीमारी ठीक हो जाती है। यह पुरानी मजार से जुड़े होने के कारण पीर बाबा के नाम से विख्यात एवं मन्नत पूरी होने की मान्यता के चलते श्रद्धालु विशेष कर गुरुवार और शनिवार को वृक्ष पर पूजा करने के साथ ही मन्नत मांगते हैं।
इतना ही नहीं लोग मन्नत पूरी होने के बाद किसी वृक्ष के नीचे भंडारा कराते हैं। वन विभाग इस वृक्ष की आयु 500 साल मानते हैं। जबकि क्षेत्र के लोगों का मानना है कि यह 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है। विरासत वृक्ष के संरक्षण के प्रयास किया जा रहे हैं। जिले में अभी और भी ऐसे वृक्ष हैं जो 200 साल से ज्यादा पुराने हैं। उन्हें भी विरासत वृक्ष डायरी में जगह दिलाने के प्रयास किए जाएंगे।
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