अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय बंद कराया, विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन… देखें Video
अराजकता, भ्रष्टाचार और छात्र हितों की अनदेखी के खिलाफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं ने प्रशासनिक भवन को बंद कर प्रदर्शन किया
रिपोर्ट: अजय कुमार
भागलपुर : बिहार। भागलपुर के तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (TMBU) में व्याप्त शैक्षणिक अराजकता, भ्रष्टाचार और छात्र हितों की अनदेखी के खिलाफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं ने प्रशासनिक भवन को बंद कर प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए और अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की।
कुलपति की निष्क्रियता पर सवाल
ABVP के कुणाल पांडे ने विश्वविद्यालय की अव्यवस्थाओं को लेकर कुलपति की निष्क्रियता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कुलपति की उदासीनता ही इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है, जिससे छात्र हितों की अनदेखी हो रही है। उनका कहना था कि विश्वविद्यालय में फैली अव्यवस्था को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, लेकिन कुलपति का रवैया इस दिशा में बिल्कुल भी सक्रिय नहीं दिखता।
गेस्ट फैकल्टी बहाली प्रक्रिया पर सवाल
ABVP ने विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा गेस्ट फैकल्टी की बहाली के लिए केवल 7 दिन का समय देने को भी भ्रष्टाचार का संकेत बताया। संगठन का कहना है कि इतने कम समय में बाहरी विश्वविद्यालयों के अभ्यर्थियों को आवेदन का मौका नहीं मिल सका, जिससे संदेह उत्पन्न होता है। ABVP ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की मांग करते हुए कहा कि गेस्ट फैकल्टी की बहाली के लिए आवेदन की तिथि को एक महीने तक बढ़ाया जाए, ताकि सभी योग्य अभ्यर्थियों को मौका मिल सके।
एससी-एसटी और अन्य वर्गों के छात्रों के लिए मुफ्त नामांकन की मांग
ABVP ने बिहार के अन्य विश्वविद्यालयों की तर्ज पर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में भी एससी-एसटी और सभी वर्गों के छात्रों के लिए निशुल्क नामांकन की मांग की। उन्होंने कहा कि जब अन्य विश्वविद्यालयों में यह सुविधा दी जा रही है, तो TMBU में भी इसे लागू किया जाना चाहिए, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में कोई बाधा न आए।
आंदोलन जारी रहेगा… देखें Video
ABVP कार्यकर्ताओं ने साफ कहा कि यदि उनकी मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं होती है, तो वे और भी बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी दी कि छात्र हितों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।