27 साल जेल में रहना मृत्युदंड के समान, सुप्रीम कोर्ट ने 96 वर्षीय दोषी को रिहा करने का किया समर्थन

खान को 1993 में हुए सिलसिलेवार ट्रेन विस्फोट के सिलसिले में 1994 में गिरफ्तार किया गया था।

मुकेश कुमार  (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV9 भारत समाचार नई दिल्ली ।  उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान में 1993 में हुए ट्रेन विस्फोट के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे और वर्तमान में पैरोल पर जेल से रिहा  96 वर्षीय एक दोषी की सजा में छुट का समर्थन करते हुए सोमवार को कहा कि लगातार कैद में रखना मृत्युदंड के समान है। हबीब अहमद खान ने अपना स्वास्थ्य बिगड़ने और वृद्धावस्था का हवाला देते हुए स्थाई पैरोल देने के अनुरोध के साथ शीर्ष अदालत का रुख किया था। 

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न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने राजस्थान सरकार से उनके मामले पर मानवाधिकारों के दृष्टिकोण से विचार करने को कहा। खान के वकील ने कहा कि वह 27 साल से अधिक समय जेल में रहा। जिसके बाद उसे तीन बार पैरोल दी गई। तीसरी पैरोल अब इस न्यायालय द्वारा समय-समय पर विस्तारित की जा रही है। पीठ ने खान की मेडिकल रिपोर्ट का अवलोकन किया और राजस्थान सरकार से पूछा कि इस समय उसे जेल में रखने से किस उद्देश्य की पूर्ति होगी।

पीठ ने राज्य सरकार की ओर से न्यायालय में पेश हुए अतिरिक्त सालिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से कहा- ‘जरा उसकी मेडिकल रिपोर्ट देखिए ‘वह कहां जाएगा। हां उसे आतंकी कृत्य के लिए दोषी ठहराया गया था। लेकिन उसे मौत की सजा नहीं सुनाई गई थी। निरंतर कारावास में रहना उसके लिए मृत्युदंड के समान है।

पीठ ने बनर्जी से उसकी सजा में छूट पर विचार करने और मामले पर मानवाधिकारों के दृष्टिकोण से विचार करने को कहा। न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा कि 96 साल की उम्र में खान सिर्फ अपने दिन गिन रहा है और कानून इतना असंवेदनशील नहीं हो सकता। पीठ ने बनर्जी को राज्य सरकार के इस बारे में निर्देश लेने को कहा, कि क्या खान को सजा में छूट या स्थाई पैरोल दी जा सकती है और विषय को दो सप्ताह बाद के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

खान को 1993 में हुए सिलसिलेवार ट्रेन विस्फोट के सिलसिले में 1994 में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद 2004 में अजमेर की एक अदालत ने आतंकवादी और विघटन कार्य गतिविधियां अधिनियम टाडा के तहत उसे एवं 14 अन्य को दोषी करार दिया था। सिर्फ अदालत में खान की दोष सिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को 2016 में बरकरार रखा था। शीर्ष अदालत द्वारा 2021 में पैरोल दिए जाने से पहले खान जयपुर जेल में बंद था।

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