12 साल से ज़्यादा पुरानी स्कूल बसों पर बैन, ऑटो रिक्शा में बैठ सकेंगे ड्राइवर सहित केवल चार लोग।
जब तक मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन कर स्कूल बसों के लिए अलग से प्रविधान नहीं जोड़े जाते, तब तक कोर्ट ख़ुद ही गाइडलाइन बना दें। इसमें 22 बिंदुओं को शामिल किया गया है। कोर्ट ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को गाइडलाइन का पालन करवाने की जिम्मेदारी सौंपी हैं।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार इंदौर (मध्य प्रदेश )।
12 वर्ष से ज़्यादा पुरानी स्कूल बसें अब सड़क पर नहीं दौड़ सकेंगी। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 7 वर्ष पहले हुए दिल्ली पब्लिक स्कूल बस हादसे को लेकर चल रही अलग-अलग जनहित याचिकाओं में बुधवार शाम एक साथ फ़ैसला जारी करते हुए यह बात कही है। कोर्ट ने कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट में भी स्कूल बसों के लिए अलग से कोई गाइडलाइन नहीं है। ऐसे में जरूरी है कि जब तक मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन कर स्कूल बसों के लिए अलग से प्राविधान नहीं जोड़े जाते , तब तक कोर्ट ख़ुद ही गाइडलाइन बना दें। इसमें 22 बिंदुओं को शामिल किया गया है। कोर्ट ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को गाइडलाइन का पालन करवाने की ज़िम्मेदारी सौंपी हैं।
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7 साल पहले हुई थी चार बच्चों की मौत……….
5 जनवरी 2018 को डीपीएस की बस छुट्टी के बाद बच्चों को घर छोड़ने जा रही थी। बाईपास पर बस अनियंत्रित हो गई और डिवाइडर फांदते हुए दूसरे लेन में चल रहे ट्रक से जा टकराई। हादसे में चालक रिटायरिंग पर फंस गया। उसने वही दम तोड़ दिया। हादसे में चार बच्चों की भी मौत हो गई थी जबकि कई बच्चे घायल हो गए।
यह गाइडलाइन बने कोर्ट ने……….
स्कूल बस को पीले रंग से रंग जाएगा और वाहन के आगे और पीछे स्कूल बस या ऑन स्कूल ड्यूटी लिखवाना होगा।
स्कूल बस के बाहर दोनों तरफ स्कूल के वहां प्रभारी का नाम, पता एवं टेलीफ़ोन, मोबाइल नंबर लिखा होगा।
स्कूल बसों की खिड़कियों पर शीशों पर रंगीन फिल्म नहीं लगेंगी।
प्रत्येक स्कूल बस में फर्स्ट एड बॉक्स और अग्निशमन यंत्र होगा। प्रत्येक स्कूल बस में आपात स्थिति से निपटने में प्रशिक्षित एक परिचालक होगा।
ड्राइवर के पास स्थाई ड्राइविंग लाइसेंस और 5 वर्ष का अनुभव होना चाहिए। ऐसे ड्राइवर जिन्होंने 5 वर्ष में दो से ज़्यादा सिग्नल जंप किया है, वह स्कूल बस नहीं चला सकेंगे।
जिस व्यक्ति का तेज़ गति से या शराब पीकर गाड़ी चलाने का एक बार भी चालान बना है वह भी स्कूल बस नहीं चल सकेगा। स्कूल प्रबंधन इस संबंध में ड्राइवर से शपथ पत्र लेगा।
प्रत्येक स्कूल बस में सीट के नीचे स्कूल बैग रखने की जगह होगी। प्रत्येक बस में स्पीड गवर्नर लगा होगा।
स्कूल बस में दाहिनी और एक आपातकालीन दरवाजा और गुणवत्ता वाला लॉकिंग सिस्टम होगा।
प्रेशर हॉर्न नहीं लगाया जाएगा, रात में स्कूल बसों के अंदर नील बल्ब लगे होने चाहिए। कोई भी स्कूल बस 12 वर्ष से अधिक पुरानी नहीं होगी।
छात्रों को लाने और ले जाने में लगे ऑटो में चालक सहित चार से अधिक व्यक्ति नहीं बैठ सकते हैं।
तृतीया की स्कूल बस में एक जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम और एक सीसीटीवी कैमरा होगा। अभिभावक वाहन को मोबाइल फ़ोन एप के माध्यम से ट्रैक कर सकेंगे और देख सकेंगे।
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