हजरत सैयद सालार मसूद गाजी रहमतुल्लाह अलैह बाले मियां का एक माह तक चलने वाला रिवायती मेला इलाहीबाग के बहरामपुर स्थित दरगाह पर शुरू

बाले मियां के दरगाह पर सदभावना और मुहब्बत का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। सभी धर्मों के लोग एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपनी आस्था और विश्वास को प्रकट करते हैं

अभिषेक कुमार सिंह, जिला प्रभारी : गोरखपुर। आस्था और विश्वास के साथ रविवार को हजरत सैयद सालार मसूद गाजी रहमतुल्लाह अलैह बाले मियां का एक माह तक चलने वाला रिवायती मेला इलाहीबाग के बहरामपुर स्थित दरगाह पर शुरू हो गया है। सूर्य की कड़ी तपिश के बाद भी जायरीनों और अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ पड़ा। बाले मियां का लगने वाला मेला पूर्वांचल का सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। बाले मियां का लहबर और निशान को विभिन्न जिलों के जायरीन और अकीदतमंद इलाहीबाग के बहरामपुर स्थित दरगाह पर लेकर पहुंचते हैं।

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तत्पश्चात रात के समय पलंग पीढ़ी का जुलूस उठाया जाता है। जो सैयद सालार मसूद गाजी रहमतुल्लाह अलैह बाले मियां के मजार शरीफ पर चढ़ाने का सिलसिला अर्ध रात्रि तक जारी रहता है। बाले मियां का दरगाह एकता, सौहार्द और भाईचारे की मिसाल के लिए जाना जाता है। दरगाह पर आकर सभी धर्मावलंबियों के श्रद्धालुओं के मन को शांति मिलती है।

यही कारण है कि दिन बा दिन बाले मियां के श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है और दूर दराज से लोग आकर बाले मियां के दरगाह पर माथा टेकते हैं। अपनी मनोकामनाओं के प्रकट करने के साथ ही अपनी आस्था के साथ श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। दरगाह पर मांगी गयी मन्नतों को का चढ़ावा चढ़ाने के लिए अल सुबह नियाज़, फातेहा, कनूरी और बच्चों के सर का मुंडन संस्कार किया गया। बाले मियां के दरगाह पर सदभावना और मुहब्बत का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। सभी धर्मों के लोग एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपनी आस्था और विश्वास को प्रकट करते हैं।

एक महीने तक गोरखपुर में सैय्द सालार मसूद गाजी रहमतुल्लाह अलैह बाले मियां के मजार पर लोग अगरबत्ती, चादर , फूलों का माला और पलंग पीढ़ी चढ़ा कर मन्नते मांगी। भीषण गर्मी में भी मेले में अक़ीदतमंदों की भीड़ रही। मेले में झूला और सर्कस लोगों के लिए आकर्षक का केन्द्र बने हुए हैं। मेले में जमकर खरीददारी की जा रही है। हलवा और पराठे की दुकान पर लोगों की भीड़ लगी रही। बाले मियां के मेले में लगभग साठ प्रतिशत हिंदू समुदाय के लोग शामिल होते हैं और दरगाह पर मन्नत मांगने आते हैं।

दरगाह पर सैयद सालार मसूद गाजी रहमतुल्लाह अलैह बाले मियां का यह मेला गंगा- जमुनी तहजीब का प्रतीक है। मेले में पहुंचे अकीदतमंदों ने मजर पर पलंग पीढ़ी व चादर चढ़कर मन्नते मांगी। निशान को खड़ाकर धूप अगरबत्ती लगाया। मेले में जाने के लिये भोर से ही ट्राली ट्रैक्टर, आटो एवं बाइक से अकीदतमंदों और जायरीनों के पहुंचे का सिलसिला जारी रहा। दोपहर में बाले मियां सेहरा ईदगाह खचाखच भरा रहा। भीषण गर्मी में भी लोगों की आस्था उमड़ी हुई थी।

मेले में मजार पर पलंग पीढ़ी चादर चढ़ाते और मन्नत मांगते हुए लोग दिखे। बाले मियां के मेले में बाजे- गाजे के साथ पलंग पीढ़ी चढ़ाने की परंपरा भी पुराने समय से होती चली आ रही है। मेले में दुकानदारों ने पहले से ही दुकानों को सजा रखें हुए हैं। बाले मियां के मेले में खरबूज व तरबूज की जमकर बिक्री हुई। मेले में बड़ी संख्या में लोगों ने खरीददारी किया।

इस मौके पर दरगाह के इंतजामकार सलाउद्दीन, अबरार अहमद, मोहम्मद खालिक और मोहम्मद असलम ने कहा कि हजरत सैयद सालार मसूद गाजी रहमतुल्लाह अलैह बाले मियां के दरगाह पर अमन व शांति का संदेश दिया जाता है। जिसकी आज समाज में अत्यंत आवश्यकता है। दरगाह पर कौम व मिल्लत और मुल्क की हिफाजत व सलामती की दुआएं मांगी गयी। इसके पश्चात दरगाह पर सूफियाना कव्वालियों का देर रात तक मुकाबला चलता रहा।

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