सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने 48 वें पुण्यतिथी पर पार्श्व गायक मुकेश को कुछ यूं अंदाज में दी श्रद्धांजलि
ओ जाने वाले, हो सके तो लौट के आना, कलाकार मधुरेंद्र ने भावुक अंदाज में मुकेश को दी श्रद्धांजली
शैलेन्द्र कुमार गुप्ता,मोतिहारी। जब दिल की गहराइयों से निकलकर रुह तक पहुंच जाने वाली आवाज की बात चलती है तो सिर्फ मुकेश का जिक्र होता है, ‘दोस्त-दोस्त न रहा’, ‘जीना इसी का नाम है’, ‘कहता है जोकर’ और ‘आवारा हूं’ जैसे खूबसूरत नगमों के सरताज मुकेश की आवाज का पूरी दुनियां कायल है।
यह भी पढ़ें :अब सोलर सिटी के रूप में भी होगी गोरखपुर की पहचान
लाखों-करोड़ों लोगों के दिलों को अपनी गायकी से छू लेने वाले गायक मुकेश की 48 वें पुण्यतिथी पर बिहार के अंतर्राष्ट्रीय रेत कलाकार मधुरेंद्र कुमार ने इस बार मंगलवार की संध्या पर अपनी 5 घंटो के परिश्रम के बाद दुनियां के सबसे छोटे 3 सेंटीमीटर वाले पीपल के पत्तों में उनका खूबसूरत तस्वीर बनाकर याद करते श्रद्धांजलि अर्पित की। इनकी यह कलाकृति चर्चा का विषय बनी रही।
वही सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ने मीडिया को बताया कि सदाबहार गीतों से लोगों के दिलों पर राज करने वाले महान पार्श्व गायक श्री मुकेश जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मुकेश जी मेरे पसंदीदा गायकों में से एक हैं। मैं बचपन से ही इनका गाना सुनते आ रहा हूं। मैं जब भी उनके गीत सुनता हूं, तो मन से यही आवाज आती है कि ‘ओ जाने वाले, हो सके तो लौट के आना…मुकेश जी अपनी अनूठी गायन शैली और जीवन को दिशा दिखाने वाले गीतों के माध्यम से सदैव हम सबके हृदय में सदैव जिंदा रहेंगे।
बता दें कि 27 अगस्त, 1976 में मुकेश हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया था, ‘दुनिया बनाने वाले’, ‘जीना यहां मरना यहां’, ‘आवारा हूं’ जैसे अनगिनत आपके सुमधुर गीत सदैव संगीत प्रेमियों के हृदय को स्पर्श करते रहेंगे।
गौरतलब हो कि मुकेश जी के गाये गीतों बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं, आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं… इक दिन बिक जायेगा माटी के मोल… और किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार… जैसे इनके गाये अनेक गीतों में जीवन का दर्शन है। ये गीत एक सार्थक जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।
मौके पर उपस्थित दर्जनों लोगों ने भी सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र के कलाकृति की प्रशंसा करते महान पार्श्व गायक मुकेश की पुण्यतिथि पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।
यह भी पढ़ें :अब सोलर सिटी के रूप में भी होगी गोरखपुर की पहचान