सीएम सिटी में सरकार की अमृत योजना बनी नरक योजना, मेन होल जाम होने से लोगों का जीना दुश्वार

मेन होल में कूड़ा, गोबर और मरे हुए जानवर तक पाए जाने से विभाग हलकान

मनीष चंद,गोरखपुर। सीएम सिटी के नागरिकों को संक्रमण और बीमारियों से बचाने के लिए पूरे प्रदेश के साथ ही गोरखपुर में भी अमृत योजना के तहत अंडरग्राउंड सीवेज लाइन बिछाई गई थी, ताकि घरों से निकलने वाला गंदा पानी इधर उधर जमा होकर संक्रामक बीमारियां न फैलाने पाए। लेकिन यह अमृत योजना शहरवासियों के लिए नारकीय योजना बन चुकी है।

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हर गली मोहल्ले में सड़कों के बीच बने मेन होल से ओवरफ्लो कर सड़क पर बहता गंदा पानी साफ देखा जा सकता है और इसी गंदे पानी में शहरवासी रास्ता चलने को विवश हैं।

बता दें कि अमृत योजना में बने इस अंडरग्राउंड सीवेज सिस्टम के देखरेख की जिम्मेदारी नगर निगम की न होकर जल निगम की है। लेकिन जल निगम इस सीवेज सिस्टम की साफ सफाई को सुचारू रूप से कर पाने में खुद को असहाय महसूस कर रहा है।

गौरतलब है कि गोरखपुर के वार्ड नंबर 7 महादेव झारखंडी के सैनिक कुंज आदि मोहल्लों में विगत कई माह से सभी मेन होल और चैंबर जाम हैं, लोगों के घरों का पानी चैंबर फुल होने के कारण आगे न जाकर पाइप के रास्ते वापस घरों में आ रहा है तथा जगह जगह सड़कों पर रिसने की शिकायत स्थानीय लोगों ने की है।

इस संबंध में जब जल निगम के एक्सईएन पंकज कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनका विभाग लगातार चैंबर की साफ सफाई के लिए प्रयासरत हैं लेकिन मेन होल के अंदर बोरियां, गोबर तथा मरे हुए जानवर तक पाए जा रहे हैं, जिसके चलते पानी खींचने वाले पंप भी काम नहीं कर पा रहे हैं।

एक्सईएन पंकज कुमार ने अपनी बात को साबित करने के लिए हमारे संवाददाता को तमाम वीडियो और फोटो भी भेजे जिसमें चेंबर के अंदर गोबर तथा अन्य कूड़ा कबाड़ भरा हुआ दिखाई दिया। उन्होंने ये भी कहा कि हमारे पास जो पंप हैं वे सिर्फ चैंबर से पानी को खींच सकते हैं लेकिन स्थानीय लोगों या कुछ शरारती तत्वों ने मेन होल में इतना कूड़ा कबाड़, गोबर और मरे हुए जानवर तक डाल दिए हैं कि चैंबर की सफाई करना कठिन हो गया है।

एक्सईएन पंकज कुमार का कहना है कि जल निगम के पास बड़ी जेट मशीन नहीं है, यह मशीन नगर निगम से मांगनी पड़ती है, जो कि दिन में कभी खाली नहीं रहती। इसके अलावा बीच सड़क पर मशीन लगाने से आवागमन बाधित होता है, जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को परेशानी होती है।

कारण चाहे जो भी हो लेकिन सरकार द्वारा अमृत योजना के तहत सीवेज लाइन को भूमिगत किए जाने वाली यह योजना सीएम सिटी में पूरी तरह फेल नजर आ रही है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे बेहतर तो खुली नालियां ही थी क्योंकि कम से कम नगर निगम द्वारा उनकी नियमित साफ सफाई तो हो जाती थी। अब तो स्थिति ये है कि न तो घर का गंदा पानी ही बह रहा है और न ही सफाई ही हो पा रही है।

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