मस्ज़िद में लाउडस्पीकर के लिए लगाई याचिका, हाई कोर्ट ने कहा- धार्मिक स्थल प्रार्थना के लिए है।
मस्ज़िद में लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति के लिए डाली थी याचिका। याचिका में एक मस्ज़िद से अजान लगाने के लिए लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति दिलाने की मांग की गई थी। हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील याचिका का विरोध किया। सरकारी वकील ने कहा है कि याची ना तो मस्ज़िद का मुतवल्ली है, और न ही मस्ज़िद उसकी है। कोर्ट ने कहा है कि धार्मिक स्थल ईश्वर की पूजा-अर्चना के लिए होते हैं। इसलिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को अधिकार नहीं माना जा सकता है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार इलाहाबाद (हाई कोर्ट )।
मस्जिद में लाउडस्पीकर के लिए लगाई याचिका, हाई कोर्ट ने कहा- धार्मिक स्थल प्रार्थना के लिए है इसलिए- प्रयागराज, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि धार्मिक स्थल में पूजा के लिए लाउडस्पीकर का उपयोग करना किसी का कानूनी अधिकार नहीं है।
हाई कोर्ट ने कहा है कि पूजा-स्थल मुख्य रूप से ईश्वर की प्रार्थना के लिए होते हैं। इसलिए लाउडस्पीकरों के प्रयोग को अधिकार नहीं कहा जा सकता है। विशेषकर तब जब कि ऐसा प्रयोग आस-पास रहने वालों के लिए परेशानी का कारण बनता हो। जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस डोनादी रमेश के डिवीजन बेंच ने पीलीभीत के मुख्तियार अहमद की याचिका को ख़ारिज करते हुए यह टिप्पणी की है।
मस्ज़िद में लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति के लिए डाली थी याचिका। याचिका में एक मस्ज़िद से अजान देने के लिए लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति दिलाने की मांग की गई थी। हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने याचिका का विरोध किया। सरकारी वकील ने कहा है कि याची ना तो मस्ज़िद का मुतवल्ली है और ना ही मस्ज़िद उसकी है।
कोर्ट ने कहा है कि धार्मिक स्थल ईश्वर की पूजा-अर्चना के लिए होते हैं। इसलिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को अधिकार नहीं माना जा सकता है।
गौरतलब है कि मई 2022 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि ब क़ानून में यह प्रावधान हो गया है कि मस्ज़िदों से लाउडस्पीकर बजाना मौलिक अधिकार नहीं है। इसलिए याची को राहत नहीं दी जा सकती है। इसी आधार पर इस मामले में भी अदालत ने याची को राहत देने से इनकार कर दिया।
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