बड़े ही धूमधाम से मनाया गया महारानी लक्ष्मीबाई की 196 वॉ जन्मदिन 

1857 के भारतीय विद्रोह में अग्रणी शख्सियत में से एक थीं महारानी लक्ष्मीबाई । - किरण देवी

रामकुमार सिंह, मण्डल सह प्रभारी गोरखपुर जोन : tv9भारत समाचार : गोरखपुर। अखिल क्षत्रिय महासभा एवं राष्ट्रीय हिंदू महासभा (भारत) जनपद इकाई-गोरखपुर के संयुक्त तत्वावधान में नगर निगम गोरखपुर के परिसर में स्थित महारानी लक्ष्मीबाई के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनका 196वॉ जन्मदिन मनाया गया।

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फोटो कैप्शन -माल्यार्पण करती हुई अखिल क्षत्रिय महासभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अर्चना सिंह रहीं तथा अध्यक्षता राष्ट्रीय हिंदू महासभा (भारत) उत्तर प्रदेश की अध्यक्ष किरण देवी

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अखिल क्षत्रिय महासभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अर्चना सिंह रहीं तथा अध्यक्षता राष्ट्रीय हिंदू महासभा (भारत) उत्तर प्रदेश की अध्यक्ष किरण देवी ने किया ।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अर्चना सिंह ने कहा कि महारानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को हुआ था।

इनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था। जिनको प्यार से मनु के नाम से पुकारते थे। उनके पिता मोरोपंत तांबे तथा माता का नाम भागीरथी स्प्रे था। उनके पिता बिठूर के पेशवा बाजीराव द्वितीय के लिए काम करते थे। उनकी शिक्षा दीक्षा घर पर हुई थी। उन्हें बचपन से ही निशानेबाजी,घुड़सवारी ,तलवारबाजी एवं मलखंब का प्रशिक्षण दिया गया था ।

राष्ट्रीय हिंदू महासभा की प्रदेश अध्यक्ष किरण देवी ने बताया कि उनका विवाह झांसी के महाराजा गंगाधर राव नेवलेकर से हुआ था । शादी के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई पड़ा। 1857 के भारतीय विद्रोह में अग्रणी शख्सियत में से एक थीं।

अखिल क्षत्रिय महासभा की प्रदेश महामंत्री गरिमा सिंह ने कहा कि 1851 में पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिनका अल्पकाल में ही मृत्यु हो गया ।1853 में उनके पति बहुत बीमार हो गए जिससे मृत्यु के पहले महाराजा ने राज धर्म निभाते हुए दामोदर राव नामक बालक को गोद लिया।

राष्ट्रीय हिंदू महासभा की प्रदेश सचिव श्रीमती संध्या मिश्रा ने कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी के लार्ड डलहौजी ने एक नियम बनाया था कि दत्तक पुत्र राजा नही हो सकता है ।सिद्धांत के अनुसार अंग्रेज झांसी के राज्य को अपने साम्राज्य में जबरदस्ती मिलाना चाह रहे थे जिसको महारानी ने मानने से इनकार कर दिया और अपने साम्राज्य की रक्षा करते हुए 17 जून 1858 में अंग्रेजी साम्राज्य की सेना से युद्ध किया और रणभूम में वीरगति को प्राप्त हुई। उनकी वीरता पर सुभद्रा कुमारी चौहान जी ने लिखा है “बुंदेले हर बोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी ,खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी” आज उनके जन्मदिन के अवसर पर उपस्थित लोगों ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके वीरता को याद किया।

इस अवसर पर अखिल क्षत्रिय महासभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती अर्चना सिंह,प्रदेश महामंत्री गरिमा सिंह ,राष्ट्रीय हिंदू महासभा की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती किरण देवी ,प्रदेश सचिव साधना मिश्रा, अखिल क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री रणबीर सिंह ,राष्ट्रीय प्रवक्ता कालिका सिंह,राष्ट्रीय सचिव मनीष सिंह, सैनिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार सिंह, जिला महामंत्री अजीत सिंह जिला कोषाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय हिंदू महासभा के जिला अध्यक्ष संजय कुमार सिंह एडवोकेट ,राष्ट्रीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव चंद्रभान मिश्रा, यूथ संयुक्त मंत्री गोविंद पासवान शिवेंद्र नारायण त्रिपाठी ,आराधना श्रीवास्तव, किरण अरोड़ा,आशा देवी,रोशनी मौर्य, प्रेमलता तिवारी दिव्यांश दुबे रवि किशन गौड़ अवधेश विश्वकर्मा सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

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