प्राचीन अरब संस्कृति में भी देवी की पूजा हुआ करती थी
अरब की तीन प्रमुख देवियां अल-लात,अल मनात और अल-उज्जा है, इनका वाहन शेर है।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर नई दिल्ली)TV9 भारत समाचार। मां आदिशक्ति की पूजा की परंपरा सिर्फ सनातन संस्कृति में ही नहीं है बल्कि प्राचीन अरब संस्कृत में भी देवी की पूजा हुआ करती थी। प्राचीन अरब संस्कृति में यह अरब की तीन प्रमुख देवियां अल-लात,अल -मनात और अल -उज्जा है, इनका वाहन शेर है। यह मक्का की काबा मंदिर में स्थापित थी। उनके साथ काबा मंदिर परिसर में 360 मूर्तियां और भी थी ।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ लोगों का यह मानना है और उनके अनुसार बताया जाता है, कि कुछ अरबों का यह भी मानना था। कि देवी अल-लात, देवता अल्लाह की बेटी है। उस समय के बहुत सारे अरब अल्लाह के साथ-साथ उनकी तीन बेटियों की भी पूजा करते थे। यह देवियां अल-लात,अल-मनात और अल-उज्जा इन तीनों देवियों का मंदिर मक्का के आसपास ही स्थित था। और तीनों की काबा के भीतर ही पूजा होती थी। सारे अरब के लोग इन तीनों देवियों की पूजा करते थे। मगर उनमें से कुछ कबीलों की कुल देवियां होती थी, तो कुछ के अन्य देवता। मगर विभिन्न क्षेत्रों और मान्यताओं के अनुसार अल्लाह शब्द को कुछ मूर्ति पूजा अरब या तो अल्लाह की बेटी या अल्लाह की पत्नी को संबोधित करने के लिए इस्तेमाल करते थे। जूलियस विल्सन के अनुसार नाबतियन जिन्हें अरबी में अल- नवात कहा जाता है। जो उत्तरी अरब के लोग थे वह यह मानते थे कि अल्लाह देवता हर्बल की मां है और देवी मनात देवता हुबल की पत्नी है। इसलिए नाबतियन के हिसाब से देवी अल्लाह, अल्लाह की पत्नी हुई और देवी मानत के सास और हुबल अल्लाह का बेटा। अल- लात का मंदिर मक्का शहर से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर “तायफ” में स्थित था। और कुरैश मोहम्मद का घराना और बाकी अब इसकी पूजा करते थे। अल-लात के मंदिर को भी काबा के जैसा ही पवित्र माना जाता था। यह देवियों में सबसे बड़ी देवी थी। कुरैश अपने बच्चों का नाम देवी अल- लात के नाम पर इस तरह रखते थे ,जैसे अल्लाह के नाम पर रखते थे। उदाहरण के लिए जायद अल लात, तायम अल लात आदि।
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