प्रत्याशियों के उम्मीदों पर भारी पड़ रहा चुनावी समीकरण,किसी भी दल के पक्ष में नहीं दिख रहा लहर
अतिउत्साह या आत्मविश्वास किसके लिए हो सकता है घातक
अशोक वत्स, कुशीनगर/उप्र। देवरिया लोकसभा क्षेत्र के तमकुहीराज व फाजिलनगर विधानसभा का चुनावी समीकरण नये अंदाज में दिख रहा। राजनीतिक गणितज्ञ भी इसे देख हैरान है। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच बनता बिगड़ता दिख रहा। वैसे तो मतदाता पूरी तरह खामोश है, लेकिन इस बार का चुनाव पूरी तरह जातीय समीकरण की ओर खिसकता जा रहा है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर की तस्वीर बनती दिख रही है।
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पिछले चुनाव में मोदी लहर के साथ ही जातीय समीकरण ध्वस्त हो गया था। और भाजपा ने बड़े अंतर से चुनाव में जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार कोई लहर तो नहीं बन पा रहा, उल्टे जातियों का बिखराब उलझन बढ़ाने के लिए काफी है।
जमीनी तौर पर पूरी तरह से कमजोर कांग्रेस को सपा से गठबंधन के तौर पर संजीविनी मिल गयी है। नये समीकरण के कारण ही कांग्रेस मुख्य मुकाबले में आ गयी है। वैसे यह चुनाव है, जहां नेताओं के एक बोल पर ही उथल पुथल के साथ बने समीकरण ध्वस्त हो जाते है।
सब मिलाकर मतदाताओं के बीच से जो स्वर आ रहे है, उसके अनुसार किसी भी दल या प्रत्याशी के लिए यह चुनाव आसान नहीं रहने वाला है। राजनीतिक गणितज्ञों की माने को राजनैतिक दलों और उनके प्रत्याशियों में उम्मीद से अधिक आत्मविश्वास और उत्साह घातक सिद्ध भी हो सकती है।
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