पत्रकारिता में होनी चाहिए विश्वसनीयता और वैधता : प्रोफेसर हरिकेश सिंह
आजादी जिस भाषा में लड़ी गई वह है हिंदी : प्रोफेसर अनुराग कुमार।
मुकेश कुमार (एडिटर क्राइम व सह प्रभारी उत्तर प्रदेश) TV9 भारत समाचार (वाराणसी)। अक्षरों की अक्षराता नश्वर नहीं है। इसलिए भाषा को जानना चाहिए और अपनी भाषा का ज्ञान होना चाहिए। अपनी मातृभाषा अनुभूति और अनुराग देती है। अपने पुत्र को जिस तरह पाला जाता है और गलत नहीं सिखाया जाता वैसे ही पत्रकारिता में विश्वसनीयता और वैधता होनी चाहिए। उक्त बातें सोमवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान की ओर से हिंदी पत्रकारिता दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित आधुनिक संदर्भ में हिंदी पत्रकारिता की संभावनाएं विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय छपरा बिहार के पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर हरिकेश सिंह ने कही।
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कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इसके पश्चात संस्थान की छात्रा सौम्या और आस्था ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर अनुराग कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि आजादी जिस भाषा में लड़ी गई वह हिंदी है और जो विधा है वह पत्रकारिता है। इमरजेंसी की पत्रकारिता आजादी के पहले की याद दिलाती है। उन्होंने वर्तमान की पत्रकारिता की चुनौतियों के बारे में बात करते हुए बताया कि हम लिखना, बोलना, संवाद करना भूल रहे हैं। हम अपने इतिहास से खुद से दूर हो रहे हैं। हमारे पास डिग्री या तो होती है। लेकिन दृष्टि उस तरह की नहीं है जो होनी चाहिए। कार्यक्रम संयोजक डॉ नागेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि जिस जगह हम पढ़ते हैं, जिस संस्थान में रहते हैं, हमें हिंदी का प्रयोग करना चाहिए। अपनी भाषा में जब लोगों को जवाब देंगे तब हिंदी का मान और बढ़ेगा। कार्यक्रम का संचालन आकांक्षा और रुद्रकांत एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ वशिष्ठ नारायण ने किया। इस दौरान संस्थान के डॉ श्रीराम, डॉ राजेंद्र कुमार पाठक, डॉ प्रकाश श्रीवास्तव, डॉ देवाशीष वर्मा, दिनेश कुमार यादव, अनिरुद्ध पांडे, शैलेश चौरसिया, रामात्मा श्रीवास्तव, मोहम्मद जावेद एवं संस्थान के समस्त छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।
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