नेपाल। पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के वित्त मंत्रालय के सीमा शुल्क विभाग ने आगामी आर्थिक वर्ष आषाढ़ 1 गते 2080 (17 जुलाई 2023 से भारत सहित चीन आदि देशों से उपभोक्ता तक पहुंचने वाली प्रत्येक आयातित वस्तु पर आयातक एवं बाजार वितरक का ‘लेबल’ लगाना अनिवार्य कर दिया है। आर्थिक अधिनियम 2080 में ऐसा प्रावधान किया गया है। नेपाल वित्त मंत्रालय के सीमा शुल्क विभाग ने सभी आयातकों और बाजार वितरकों को इस प्रावधान को लागू करने के लिए सूचित किया है।
यह भी पढ़ें : हक और अधिकार के लिए बीईओ संघ ने सौंपा ज्ञापन
नेपाल वित्त मंत्रालय के सीमा शुल्क विभाग के निदेशक पुण्य विक्रम खड़का ने प्रेस नोट जारी करते हुए बताया कि नेपाली बाजार में आने वाली प्रत्येक वस्तु के उत्पादन के देश और उसके वितरक के बारे में उपभोक्ताओं को जानकारी देने के उद्देश्य से अगले वित्तीय वर्ष से प्रत्येक आयातित वस्तु पर आयातक एवं बाजार वितरक का ‘लेबल’ लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।
सीमा शुल्क से संबंधित आर्थिक अधिनियम की अनुसूची 1 की धारा 18 की उपधारा 4 के अनुसार आगामी आर्थिक वर्ष असार 1 गते 2080 (17 जुलाई 2023) के बाद आयात किए जाने वाले सामान को बिक्री और वितरण के लिए बाजार में भेजने से पहले बिक्री और वितरण का विवरण अनिवार्य है। यदि बिना लेबल लगाए बिक्री एवं वितरण के लिए बाजार में भेजा जाना पाया गया तो ऐसे सामान को जब्त करने का अधिकार भी निगरानी प्राधिकारी को दिया गया है।
यह विवरण हैं अनिवार्य
सीमा शुल्क विभाग के अनुसार अब प्रत्येक लेबल पर आयातक और बाजार वितरक का नाम, पता, ई-मेल पता/वेब साइट और एक्जिम कोड डालना होगा। जब सामान आयात किया जाता है, तो उसे बाजार में बिक्री और वितरण के लिए भेजने से पहले लेबल किया जाना चाहिए।
इन वस्तुओं पर लेबल की आवश्यकता नहीं
विभाग के अनुसार औद्योगिक कच्चे माल, औद्योगिक मशीनरी और उपकरण और निर्माण में उपयोग की जाने वाली संरचनाओं के रूप में आयातित वस्तुओं के लिए ऐसे लेबल की आवश्यकता नहीं है, हालांकि सरकार ने आम उपभोक्ता को सीधे बेची और वितरित की जाने वाली सभी प्रकार की वस्तुओं के लिए इस लेबल को अनिवार्य कर दिया है। यह लेबल आयातित वस्तुओं की प्रत्येक इकाई के लिए अनिवार्य है। हालांकि, सामान की प्रकृति, आकार और वजन के कारण यदि प्रत्येक इकाई पर एक लेबल लगाना संभव नहीं है, तो विभाग ने एक नियम बनाया है कि बेचे जाने वाले सामान की अंतिम इकाई पर एक लेबल लगाना अनिवार्य है। विभाग ने यह भी बताया है कि ऐसे मामले में जहां एक ही आयातक के कई वितरक हो सकते हैं। बाजार वितरक लेबल, संबंधित बाजार वितरक द्वारा स्वयं लागू किया जाना चाहिए। लेबल अंग्रेजी या नेपाली भाषा में होना चाहिए। लेबल के दुरुपयोग को रोकने के लिए आयातक और वितरक को लेबल के साथ भेजे गए सामान का रिकॉर्ड रखना होगा। आयातक या वितरक बारकोड, क्यूआर कोड, सुरक्षा स्टिकर के साथ लेबल पर अपनी पहचान भी डाल सकते हैं।
लेबल से उपभोक्ता और सरकार को क्या है लाभ ?
सरकार ने यह कदम इन शिकायतों के बाद उठाया है कि बाजार में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों का दुरुपयोग किया जा रहा है और स्थानीय उत्पादों को आयातित उत्पादों की तरह ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। विभाग के निदेशक पुण्य विक्रम खड्का के मुताबिक बिल न लेने पर सस्ते दाम पर और बिल वसूलने पर ऊंची कीमत पर सामान बेचकर सरकार और उपभोक्ताओं को चूना लगाने का चलन बढ़ रहा है। भविष्य में उपभोक्ता ऐसे स्टीकर को देखकर आसानी से धोखाधड़ी की शिकायत कर सकेंगे। साथ ही नकली सामान बनाने और बेचने की प्रवृत्ति को नियंत्रित करना भी आसान होगा।
चोरबाजारी की शिकायत के बाद लिया निर्णय
वित्त मंत्रालय के सीमा शुल्क विभाग को शिकायत मिली थी कि काठमांडू की गलियों में एडिडास और नाइकी जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों का उत्पादन किया जा रहा है और उन्हें आयातित बताकर ऊंची कीमतों पर बेचा जा रहा है। निदेशक पुण्य विक्रम खड्का ने बताया कि इस प्रावधान से अवैध वस्तुओं के व्यापार पर भी रोक लगेगी।उन्होंने कहा बताया कि सीमा शुल्क चुकाकर एक व्यापारी द्वारा लाए गए सामान की कीमत और दूसरे द्वारा चोरी करके लाए गए सामान की कीमत के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं हो सकती है। इस तरह का लेबल अब चोरी को हतोत्साहित करेगा।
यह भी पढ़ें : हक और अधिकार के लिए बीईओ संघ ने सौंपा ज्ञापन