दवा प्रतिनिधियों ने उपजिलाधिकारी के माध्यम से उपमुख्यमंत्री को दिया ज्ञापन
विगत दिनों उपमुख्यमंत्री के द्वारा दिया गया था बयान कि दवा प्रतिनिधियों को सरकारी हास्पिटल में कार्य करने पर,देखते ही मुकदमा दर्ज कराया जाए
अनूप राय,कुशीनगर।उत्तर प्रदेश मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन के पडरौना इकाई उपाध्यक्ष विनय पाण्डेय के नेतृत्व में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव सदस्यों द्वारा विगत दिनों उपमुख्यमंत्री द्वारा दिये गये बयान कि दवा प्रतिनिधियों को यदि सरकारी हास्पिटल में कार्य करते देखते ही मुकदमा दर्ज कराया जाएं के विरुद्ध उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया।
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पिछले दिनों फर्रूखाबाद के एक अख़बार के जरिये एक खबर पढ़ी गयी।जिसमें प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का एक बयान छपा था कि “अगर मेडिकल रिप्रजेंटेटिव अस्पताल में दिखें तो उन्हें तत्काल जेल भेज दिया जाय”
गौरतलब है कि मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव केवल हमारे देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में कार्यरत हैं।
उपाध्यक्ष विनय पाण्डेय ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व A.C.Nelson द्वारा भारत में चिकित्सकों के बीच कराए गए सर्वे के मुताबिक हेल्थ केयर इंडस्ट्री बिना मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के चल ही नहीं सकती।जिस प्रकार डॉक्टर्स की प्रैक्टिस के लिए मेडिकल कौंसिल की मान्यता जरूरी है, दंत चिकित्सक के लिए, डेंटल कौंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता जरूरी है, दवा व्यापारियों के लिए ड्रग कंट्रोलर की मान्यता जरूरी है, दवा कंपनियों को दवा बनाने के लिए ड्रग कंट्रोलर और ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट की मान्यता जरूरी है, उसी प्रकार से मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स भी कानूनी दायरे में आते हैं।
1- भारतीय संसद द्वारा मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव को कानूनी मान्यता प्राप्त है- सेल्स प्रमोशन एम्प्लाइज एक्ट, 1976
2- किस तरह दवाओं का प्रमोशन किया जाय, यह सुनिश्चित किया गया है- ड्रग एंड मैजिक रेमिडीज (ऑब्जेसनेबल एडवरटाइजमेन्ट) एक्ट, 1954
3- कानून कहता है कि उन्हीं दवाओं का प्रमोशन किया जाय जो ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के नियमानुसार बनाये गए हैं।
4- सेल्स प्रमोशन केवल चिकित्सक, अस्पतालों, डिस्पेंसरियों, शोध संस्थानों, दवा विक्रेताओं को ही करना है। यहाँ यह बात बताना जरूरी है कि मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स ड्रग एंड मैजिक रेमिडीज एक्ट 1954 की धारा 15 के तहत दवाओं का प्रमोशन करने हेतु अधिकृत हैं। इनकी नियुक्ति सेल्स प्रमोशन एम्प्लाइज एक्ट 1976 के तहत दवा कंपनियां करती हैं। अतः एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव को सरकारी अस्पताल, नर्सिंग होम, निजी क्लिनिक आदि में दवाओं के प्रमोशन करने का कानूनी अधिकार है।
अतः उनके बुनियादी “काम के अधिकार” पर किसी तरह का रोक लगाना और यह कहना कि जेल भेज देंगे किसी भी तरह से न्याय संगत नहीं है।