जीवाश्म ईंधन की खपत में कमी लाने के लिए पूर्वी रेलवे का प्रयास

हाई स्पीड डीजल की खपत में धीरे-धीरे कमी आ रही है। साथ ही डीजल लोको होल्डिंग भी कम हो रही है।

मुकेश कुमार  (क्राइम एडिटर नई दिल्ली)TV9 भारत समाचार  (कोलकाता)।  टिकाऊ पर्यावरण के प्रयास की दिशा में पूर्वी रेलवे अधिक पर्यावरण अनुकूल रेलवे बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। हाई स्पीड डीजल तेल की खपत में धीरे-धीरे कमी आ रही है। साथ ही डीजल लोको होल्डिंग भी काम हो रही है।

यह भी पढ़ें : 11वीं की छात्रा ने स्कूल के कमरे में फांसी लगाकर की आत्महत्या

सहायक बिजली इकाइयों, गतिशील ब्रेकिंग और ऑप्टिकल ड्राइविंग तकनीक के साथ-साथ ऊर्जा बचत मशीनों के उपयोग के परिणाम स्वरुप पूर्वी रेलवे में एचएसडी तेल की खपत में उल्लेखनीय गिरावट आई है। पूर्वी रेलवे ने एचएसडी तेल की खपत 2019- 20 में 118.37 मिलियन लीटर की तुलना में केवल 3 वर्षों में 2022 – 23 में घटकर 30.18 मिलियन लीटर हो गई है। इसके अलावा जुलाई 2023 तक पूर्वी रेलवे के 80 रेक को हेड आन जेनरेशन रेक में परिवर्तित कर दिया गया है। जिससे चलते ट्रेनों के कोचों को बिजली की आपूर्ति करने वाली डीजल बिजली इकाइयों की आवश्यकता समाप्त हो गई है। जीवाश्म ईंधन की खपत के साथ-साथ नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग के इन ऊर्जा बचत उपाय के परिणाम स्वरुप पूर्वी रेलवे में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आई है, साथ ही विभिन्न उपाय भी किए हैं।

यह भी पढ़ें : 11वीं की छात्रा ने स्कूल के कमरे में फांसी लगाकर की आत्महत्या