छठ पूजा : रानी के पोखरा पर बना छठ घाट का जलाशय अमृत काल में भी दुर्दशा झेल रहा है

राज दरबार तथा नगर पंचायत के बीच रहस्यमय बना हुआ है तजलाशय सफाई का मामला, दूषित पानी में छठ ब्रति महिलाएं उगते और डूबते सूर्य कोअर्ध्य देने के लिए मजबूर

कृष्णा यादव, विशेष संवाददाता :तमकुहीराज/ कुशीनगर। छठ पूजा के अवसर पर जिस घाट पर जलाशय में गंदगियों का अंबार लगा है इस जलाशय के दूषित पानी में छठ व्रति महिलाएं डूबते तथा उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देने के लिए मजबूर हैं। कारण यह है कि यह स्थान नगर पंचायत तमकुही राज की यशोधारा नगर में स्थित है जिस पर आज भी ब्रिटिश हुकूमत कायम है।

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फोटो कैप्शन- रानी के पोखरे पर स्थित बड़ी संख्या में निर्माण की गयी छठ पिंडी

जिसके डर से नगर पंचायत अध्यक्ष पोखरा की सफाई कराने में विवश दिखाई दे रहे हैं अब तक इस पोखरा की सफाई नहीं हो सकी है। जनपद में स्थित यह स्थान राजस्व खतौनी में पोखरा के नाम से स्थित है।

परंतु बताया जाता है कि इस पर अधिकार एक सामंत परिवार का है जिसने माननीय सिविल न्यायालय कसया से मछली पालने और मारने से न रोकने का स्थगन आदेश प्राप्त किया है। परंतु पोखरा की सफाई किसी पक्ष द्वारा बरसों से नहीं कराई गयी है। अमृत काल में भी यह पोखरा अपने दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।

इसी पोखरा पर लगभग 5 दशकों से छठ की पूजा होती चली आई है। आस- पास गोविंद नगर खानसामा टोला हरिहरपुर गाजीपुर इत्यादि नगर मोहल्लों के निवासी महिलाएं निर्जला व्रत 24 घंटे रखकर इस दूषित पानी में उगते और डूबते सूर्य को अर्ध्य देने के लिए मजबूर है।

सर्व विदित है कि 24 घंटे निर्जला व्रत धारण पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए महिलाएं जल में कई घंटे खड़ा होकर उगते सूर्य को अर्थ देने के लिए घोर तपस्या करती हैं। ऐसी स्थिति में इस जलाशय के गंदे पानी में खड़ा होना बीमारी को दावत देना है ऐसी विषम परिस्थितियों में भी इस जलाशय में महिलाएं अर्ध्य देने के लिए मजबूर हैं।

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