छठ पूजा- रानी के पोखरा घाट पर स्थापित छठ पिंडी की हुई साफ सफाई एवं पेंटिंग, नगर पंचायत अध्यक्ष ने लिया जायजा
इस घाट पर लगता है प्रतिवर्ष मेला यहां होती है बहुत भीड़ महिलाओं के चेन स्नैकिंग की भी छीट फुट पहले हुई है घटना,घाट से पश्चिम दिशा में यातायात सड़क पर लगती है बहुत भीड़ नियंत्रण के लिए पुलिस फोर्स की आवश्यकता,नगर पंचायत के कर्मचारियों ने सड़क पर स्थित बूचड़खाने को हटवाया
कृष्णा यादव ,विशेष संवाददाता :तमकुहीराज/ कुशीनगर। आस्था का पर्व छठ त्यौहार की तैयारी में नगर पंचायत पूरी तरह से जुटा हुआ है। छठ घाट की सफाई तथा छठ घाट पर स्थापित छठ पिंडियों की रंगाई पुताई तथा सफाई का कार्य पूर्ण हो गया है। नगर पंचायत अध्यक्ष जेपी गुप्ता नगर पंचायत में स्थित सभी घाटों का घूम करके निरीक्षण करते हुए जहां कमियां दिखाई दी। उसको तत्काल दूर करने का आदेश दिया।
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इसी क्रम में आम लोगों की मिल रही शिकायत के दृष्टिगत तत्काल प्रभाव से नगर पंचायत के वरिष्ठ जिम्मेदार लोगों ने समउर सड़क पर स्थित बूचड़खाने को हटवाया तथा बकरा काटने वाले कुछ सख्त हिदायत दिया। वरिष्ठ लिपि कुंदन पांडे लिपिक अरविंद ओझा ने सड़क पर लगने वाले अंडा मीट दुकान व ठेलों को त्योहार के मद्भे नजर रखते हुए स्वयं खड़ा होकर के हटवाया।
रानी के पोखरा पर लगने वाला छठ त्यौहार का मेला में बड़ी भीड़ होती है। नगर पंचायत के अलावा अगल-बगल के गांव के महिलाएं बच्चे -पुरुष इस त्यौहार पर उमड़ पड़ते हैं। जिसके कारण भीड़ ज्यादा होती है घाट पर महिलाओं द्वारा अर्ध्य देते समय दोनों तरफ बहुत ज्यादा बच्चे इकट्ठा हो जाते हैं, जिनका पानी में गिरने की डर रहती है। इसके अलावा महिलाओं के भीड़ में कुछ बाहरी औरतें जो दूसरे समुदाय की हैं, मांगने के चक्कर में भीड़ में घुस जाती हैं तथा वही आभूषण पहन कर आई हुई औरतों का चैन स्नैकिंग के जरिए आभूषण चोरी कर लेती हैं। भीड़ एवं चैन स्नैकिंग यातायात व्यवस्था के लिए पर्याप्त पुलिस बल महिला एवं पुरुष की आवश्यकता जताई गई है।
किसी प्रकार की कोई दिक्कत छठब्रति महिलाओं को ना हो इसके लिए उप जिलाधिकारी तमकुही राज विकास चंद्र उपपुलिस अधीक्षक तमकुही राज जितेंद्र सिंह कालरा द्वारा चाक चौबंध व्यवस्था की गयी है।
बृहस्पतिवार को सायं काल अष्थाजलि सूर्य को अर्ध्य देकर निर्जला व्रत रहते हुए रात्रि में महिलाएं घर पर पुत्रों की दीर्घायु होने के लिए तथा सुख समृद्धि के लिए कोसी भरने का कार्य करती हैं। कोसी भरते समय मीठे पकवान महिलाएं अपने हाथ से बनती हैं तथा चौमुखी कलश रखकर दीप जलाकर एक बस की टोकरी में रखकर उसके ऊपर किसने की बाई गई गाड़ी कमाई ईख में कपड़ा बांधकर बस की टोकरी के ऊपर रखकर कोसी भरने का कार्य करती है।
उसके बाद सुबह 4 बजे भोर में घर के पुरुष या बच्चे कोसी लेकर गंगा घाट पर आते हैं तथा यहां पूजा पाठ करने के बाद कोसी घर चली जाती है। परंतु इस समय से पुत्र कामना की मंगत मांगी हुई औरतें गहरी पानी में खड़ा होकर उदयमान सूरज का इंतजार करती हैं। सूर्योदय के बाद घर के पुरुष या पुरोहित अर्ध्य दिलवाने का कार्य करते हैं उसके बाद महिलाओं का व्रत संपन्न होता है। आस्था का यह पर्व बिहार से शुभारंभ होकर आज उत्तर भारत में चारों तरफ फैला हुआ है इस त्यौहार को बहुत ही जोर-शोर एवं श्रद्धा भाव से मनाया जाता है इस व्रत में महिलाएं 24 घंटा उपवास धारण करके कठिन तपस्या के बल पर छठ का त्यौहार मनाती हैं।
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