ग्रामीण अंचल में सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार कर कविता में ख्याति प्राप्त किया- नथुनी प्रसाद कुशवाहा
भोजपुरी के पितामह स्वर्गीय पंडित धरिक्षण मिश्र के काफी करीबी सानिध्य में रहकर करते आ रहे हैं कविता पाठ
कृष्णा यादव, विशेष संवाददाता : तमकुहीराज/ कुशीनगर। गांव गरीबी में पले ग्रामीण अंचल में कविता पाठ के माध्यम से क्षितिज की ऊंचाइयों तक पहुंचने वाले भोजपुरी के पितामह स्वर्गीय पंडित धरीक्षण मिश्र के सानिध्य में रहकर भोजपुरी व हिंदी में काव्य करने के उपरांत गोरखपुर में भोजपुरी संगम संस्था द्वारा मानक पत्र प्राप्त करने वाले प्रख्यात कवि नथनी कुशवाहा उर्फ रामपति रसिया ने धर्माधता सामाजिक कुरीतियों पर प्रकाश डालने वाले काव्य रचनाकार के सामने साधन सुविधा अभाव की कमी नहीं दिखाई देती है।
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तमकुही राज तहसील के ग्राम सभा मोरवन मठिया निवासी कवि रामपति रसिया गांव के एक बार प्रधान चुने गए। परंतु साधारण परिवार में जन्मे कवि की रुचि भोजपुरी व हिंदी कविता में रम गई थी। योग्य शिक्षक होने के बाद भी गांव में हाई स्कूल इंटरमीडिएट के छात्रों को घर जाकर पढाने का काम किया। बड़े से बड़े नेताओं जो लोगों को नौकरियां दिलाए हैं। उनके पास कभी जाकर गिड गिडाने का कार्य नहीं किया।
पिछड़ी जाति में जन्मे रसिया के प्रभाव से तमकुही राज में एक संस्था का भी गठन किया गया।जहां पर प्रतिमाह हिंदी भोजपुरी कविता पाठ करने के लिए इस क्षेत्र के प्रतिष्ठित कवि अपनी कविता को प्रस्तुत कर इस क्षेत्र का नाम रोशन कर रहे हैं। सिद्धांतों से जीने के आदी हैं सामाजिक कुरीतियों पर इनकी वेवाक लेखनी समाज को इस विषय पर सोचने को मजबूर कर देती है। इसके लिए कुछ सामंती सोच जैसे विचार रखने वाले को यह बात खटकती है।
हमेशा अपनी कविता में गांव गरीबी ग्रामीण क्षेत्र का चित्रण सामाजिक कुरीतियों पर वेवाक लखनी के धनी कवि रसिया ने तमकुही राज क्षेत्र का मान सम्मान बढ़ाया है। इसके लिए क्षेत्र के प्रबुद्ध लोगों ने उनकी प्रशंसा करते हुए इनके साथ जुड़ने का कार्य किया है जो सराहनीय कार्य है।
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